SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१०४) अम देशनी आपद दळवा खळ वृंदोने संहरवा ॥ शक्ति तारी अर्पित तेना हृदयमा रमो-हळी० एनो प्रताप दिन दिन वधतो कोटी सूर्य समो जळहळतो॥ करजो कृपानाथ अने विघ्नने वमो ॥ तपे ज्यांसुधी शशिने तरणी धरे शेष ज्यांसुधी धरणी ॥ चकवो राज्य त्यांसुधी पामी प्रौढ प्राक्रमो-हळी० डॉ. त्रिभोवनदास मोतीचंद शाहनुं बाकी, भाषण. " सीलस्कीन नामर्नु चामडुं शीत कटीबंधमां मळी आवता सील नामनां जळचर प्राणीने करताथी मारीने मेळवाय छे, अने ते शीवडावीने सुशोभित कपडा तरीके वपराय छे, तेना प्रत्ये ए लोको तिरस्कारथी जोवा लाग्या छे. मडमो पीछांवाळी टोपीओ पहेरी शरीरने शणगारे छे, अने तेनो चेप आपणा लोकोमा लागेलो छे. निरपराधी पक्षीओने मारीने ए पीछां पहेरवामां आवे छे, ते घातकी शोभाने केटलांक युरोपियन मरद अने ओरत धिःकारवा लाग्यां छे. तेना जेवीज क्रुर बीना कचकडानी छे. कचकडो शुं चीज छे अने ते केम मेळवाय छे, ते मारा जाणवामां तो थोडी मुदत पहेलां आव्यु. ते पेहलां में पोते दीव जईने कचकडानी चीजो खरीद करी हती एटलुंज नहि, पण मने याद छे के साधुओने धातु खपती नथी. एक साधुना मोतीया उतार्या पछी तेमने चस्मांनी जरूर पडी. चस्मानु चोकळं धातुनुं थायछे तेथी ते साधुजीने खपे नहीं; एटले दीव तरफथी कचकडानु चोकळु मंगाववानी फरमाश थई. ते वखते मने कांई आश्चर्य लाग्युं नहोतुं, पण हवे कचकडाचें मूळ जाण्या पछी साधुओने ते पहेरवां के नहीं ते विषे मने शंका थाय छे; अने कचकडाना चोकठा करतां धातुनु चोकळं कदाचित् परिग्रहने बाधवाळु होय तोपण ठीक एम दीसे छे. एक वात मारा मनमा घणा वखतथी घोळाया करेछे, अने तेणे मने गुंचवाडामां मुकेलो छे. गुंचवाडामां एटला माटे के ते देखीती रीते अपवित्र होवा छतां पवित्र मनाय छे. अने पवित्र प्रमाणे तथा बीजी रीते तेनो बोहोळो उपयोग थाय छे. विद्यार्थी तरीके त्रीजी चोपडीमां पाठ वांचवामां आवे छे, के रेशमना कीडा थाय छ तेने उछेरवामां आवे छे, अने चोकस स्थितिए तेने उकळता पाणीमां नांखी मारी नांखी रेशम मेळववामां आवे छे. असलना काळमां हिंदुस्तान जेम हाल सुधी कचकडानी बाबतमां अजाण्यो हतो, तेम होय तो कोण जाणे, पण हालतो तमाम कोईना जाणवामां छे के असंख्याता जीवने हणीने रेशम मेळववामां आवे छे. पछी तेने सुशोभित बनावीने भाईओ कोट, जाकीट के पाधडी बांधे छे, बहेनो कांचळी अने साडी करी पहेरे छे. सूक्ष्म जंतुनी दया खानार श्रावकोनुं लक्ष आ स्थूल प्राणी उपर केम नथी खेंचायुं, ए ताजुबी भरेलं छे. पीछां अने कचकडा माटे गामे गाम सभा भरीने त्याग करवाना संदेशा जेम वर्तमानपत्रद्वारा फरी वळ्या, तेम आ सवाल प्रत्ये थवानुं मुश्केल छे; तोपण मने ए सवाल अजायबी पमाडनार थई पड्यो छे, तेथी आ कॉन्फरन्स आगळ मुकुं छु; ने तेनो यथार्थ विचार करवा विनंती करूं . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy