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________________ खातां उघाडयां छे अने ए काम माटे आ कॉन्फरन्स तरफथी खरा जीगरथी हुँ उपकार मानुं छु, अने ए कामने आप साहेबोए धन्यवादथी वधावी लीवू ते जोई मने वधारे आनंद थाय छे. आपणी सनमुख आवता दरेक सवाल माटे आसपासनो बहोळो विचार करवो जोईए छे. नामदार सरकारने पोतानी पंचभेळ प्रजाने केळववानी छे. नामदार सरकारनी रैयतमा जुदी जुदी ज्ञातिओ अने भिन्न भिन्न धर्म होवाथी, तेमनी मार्फत आपणे आपणा धर्मनी केळवणी मेळववाने अशक्त छीए. विद्याबळ गमे ते, होय पण तेमां धार्मिक तत्व न होय तो विवेक, नीति, नम्रता.अनुकंपा आदि महद् तत्वो केळवातां नथी. आ खामी विचारवंत डाह्या माणसोने जणातां जुदी जुदी रीते तेना उपायो योजवा लाग्या छे. मुसलमानोए अलीगढमां कोलेज स्थापी छे, हिंदुओ तरफथी बनारसमां सेंट्रल हिंदु कोलेज उघडी छे, क्रिश्चियनो माटे तो घणी कोलेजो छे; मात्र आपणी जैनधर्मनी केळवणी आपनार कोई कोलेज नथी; जाके हमणां थोडा वखत पहेलां आ गुलजार मुंबई नगरीमां आपणा धनाढ्य भाई बाबु पनालाल पुनमचंद तरफथी एक जैन हाईस्कूलनो पायो नंखायो छे, तेथी संतोष मानवामां आवे छे पण जमानाने ताबे थर्बु जोईए. बीजी प्रजा माफक आपणे वध, जोईए. राजदरबारनी भाषा, कळा हुन्नरनी भाषा, वेपार वधारवानी भाषा, एम सर्वे व्यवहारिक साधनो पुरां पाडनार भाषा जे इंग्रेजी छे, ते इंग्रेजी भाषा अने आपणो धर्म समजाववानी मोटी ग्रंथ समृद्धि धरावनार मागधी अने संस्कृत भाषाओ छे. ए भाषाओ जाणवा माटे तथा हालनां युनीवर्सीटीना धोरणने अनुकुळ थवाने एक जेन धार्मीक कोलेज उघाडवानी भारे मोटी आवश्यकता हुं समजूं छु; अने ते उघाडवाने भलामण तथा विनंती करूं छु. उंची केळवणी माटे ध्यान खेंची हुं शरुआतनी केळवणीने विसारी देवा मागतो नथी. जो आपणे मकाननो पायो पहेलाथीज मजबुत कर्यो होय तो ए मकान वधारे टकाउ बने छे. तेमज प्राथमिक केळवणी उपर जो आपणे वधारे ध्यान आपीए तो तेथी आपणी उंची केळवणी पण वधारे मजबूत थाय; ए शरुआतनी केळवणीमां पण धार्मिक तत्व उमरावानी खास जरूर छे, अने ए जरूर पुरी पाडवा माटे आपणा धर्मनां तत्व आपणा माथे ए संबंधी फरज ठरावे छे. विद्या संबंधी बहोळी हाजत अने उपयोगीपणानी व्याख्या ध्यानमा लेशो तो एम देखाई आवशे के कीर्तिनो स्तंभ उभो करवाने तथा चिरंकाळ नामना करवा, तेमज प्रजामां सुलेह शांति अने भाईचारो पाथरवाने अने व्यवहार वधारी उन्नति करवाने विद्या करतां बीजु कोई साधन मोटुं नथी; एटला माटेज ज्ञानदानने सर्वथी उत्तम दान ठराववामां आव्युं छे, एटले के विद्यादान- सवेथी मोटुं पुन्य छे. आ उत्तम प्रकारचें दान करवाने अने मोटु पुन्य हांसल करवाने बहोळे हाथे नाणुं खर्चावानी जरूर छे, अने आशा राखं छं के भाईओ तथा बहेनो आपना खीसामांथी नाणां खर्चवाने पछात रहेशो नहीं. बीजो खर्च करे तो खर्च करूं एवी राह नहीं जोतां वहेलो ते पहेलो एम धारीने भंडारो, तीजोरीओ, अने पटारा खुल्ला राखीने आ रुडा काम माटे बहोळे हाथे पैसा खर्चशो. हवे आपणा जैन वर्ग माटे विद्या वधारवा संबंधे केवां खातांओनी जरूर छे ए हकीकत समजावीश. आ स्थितिए सामान्य अवलोकन करतां मने हर्ष उपजे छे के आ हिंदनी बीजी प्रजाओ शरूआतनी केळवणी संबंधी कामकाजो आरंभे ते पहेलां आपणे घणी जगाए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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