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________________ (११) __बंधुओ, बोलीने बेशी रहेवानुं नथी, पण जे जे कांई कहेवाय तेने अमलमां मुकवामां आवे तैम थवामां आ मेळावडानुं सार्थक होई, ते केवी रीते अमलमां मुकी शकाय ते बाबत विचार करवाने हुं ईसारो करूं छु. बीजी जैन कॉन्फरन्सनी आजे पहेला दिवसनी बेठक छ, आवो मेळावडो मुंबईमां करवानी जे गोठवण करवामां आवी छे, तथा तेनी पाछळ जे सामग्री पुरी पाडवामां आवी छे, तेमा घणा गृहस्थोए पोतानो धंधो छोडी रात दिवस जात महेनत करी छे, तेवा भाईओनी उमदा लागणीथी आ मेळावडा, काम अमे हार पडेलु मानीये छीये. बंधुओ, मारे कहेवा में टुंकमां कर्तुं छे. आपणे आवी अगत्यनी बाबतोपर, आपणा आ भव तथा परभवना हितनी बाबतो ऊपर, आपणुं अने आपणी भविष्यनी ओलाद- हित थाय तेवी बाबतो ऊपर, आपणी कोम, आपणा देशनु अने परिणामे समग्र जन समुदायतुं हित थाय, तेवी अगत्यनी आ बाबतो ऊपर आपणे विचार करवानो छे, तेवा पुण्यरूप मेळवडामां आपे भाग लीधो छे तेथी फरीने अत्रेना संघ तरफथी आपने हुं हरखभर्यो आवकार आपुं छु. सद्गृहस्थो मुंबईमां अनेक अगवडोने लीधे आपनी सगवडो जाळववी मुस्केल पडे तेम छे, तेथी अमे जे करीये तेने आप "फुल नहीं तो फुलनी षांखडी" प्रमाणे गणशोजी, अने जे जे बाबतमा अमे पछात पडीये ते दर गुजर करशोजी. हवे बंधुओ, आपणा आ महान् मेळवडानुं काम निर्विघ्ने पार पाडे एवा नायक (आपणा प्रमुख ) योग्य रत्ननी चुंटणी करवाने भलामण करूं छु. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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