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________________ (१०) संगीन काम करवू जोईए छ. हाल काळ कांईक कांईक विलक्षण रुप पकडतो जाय छे-सात सात वर्ष थयां मरकीनी आफत आवी पडीछे-ते साथे उपराउपरी दुकाळनुं जबरं वादळ आवी पड्युं छेतेनी असर आपणा जैन भाईओने थई छे. तेमां पण साधन रहित आपणा जैन बंधुओ बहु अधम स्थितिए पहोंच्या छे. आवक करतां खर्चनो बोजो विशेष थई गयो छ. एवा वखतमा उद्योग विनाना माणसने पोतानो काळ काढवो कठण थई पडे छे. कोई दया लावी तेओने पेट पुरतुं खावानी मदद आपे तो ते ठीक छ, पण तेथी तेनुं कांई सर्वथा भलु थाय नहीं. खाय पीए अने रखडे एथी तेनुं अने प्रजान कांई कल्याण थशे नहीं. तेवा लोकोने उद्योगे वळगाडवानी खास जरुर छे. श्रीमंत अने शक्तिवाळा गृहस्थोए तेमने उद्योगे चढाववानी योजनाओ योजवी जोईए छे. आपणा देशमा उद्योग हुन्नर- बोहोळु क्षेत्र छतां तेनी शोध करवामां अने तेने हम्तिमा लाववाने, ज्यां मुधी खंत राखवामां न आवे त्यां सुधी हुन्नर उद्योग कटाशे; माटे तेने सतेज करवा पाछळ आपणे श्रम लई जोईती सामग्री पुरी पाडवी घटे छे. जैनोमां उद्योगने चाहनारा अने हन्नरने उत्तेजन आपनारा गृहस्थो छे अने मोटो भाग वेपारी वर्गनो छे, तो तेवा गृहस्थो गरीब जैनोने उद्योगे लगाडशे एवी आपणे आशा राखी\ अहिंसा परमो धर्मः-ए जैन धर्मनो प्रथम सिद्धांत छे. दया ए जैन धर्मनो प्रथम पायो छे. मुगां प्राणीयोनो हालना समये बचाव करवानी जरुर छे. उपरनी बधी योजनाओ सारं एक मोटा फंडनी आवश्यकता छे, जे फंडना व्याजमांथी बधां खातांओने मदद थई शके. बीजं आपणा धर्मनां अने शुभ खातांओना अंगे मोटी रकमो घणे ठेकाणे पडी छे. घणा निःस्वार्थ माणसो तेवी बाबतमा ध्यान आपी पोताना वखतना भोगे उपजखरचनो आंकडो तयार राखे छे ते माटे तेओने धन्यवाद घटे छे. परंतु केटलेक ठेकाणे आ बाबतमां गोटाळो. थाय छे. तेवो गोटाळो न थाय ते बाबत योजनाओ करवानी खास जरुर छे. केटलेक ठेकाणे एवां शुभ खातांना हिसाबो बहार पडवा लाग्या छे, तेवी रीत अनुकरण करवा जेवी छे. वळी केटलेक ठेकाणे धर्मादा खातानां फंडो वगर वपराये जेमनां तेम पडयां रहे छे, जे खातानां ते फंडो होय तेज खातामां ते वपराय तेवी रीतनी व्यवस्था करवानी पण जरुर छे. आ बंने कामना माटे एक अनुभवी केळवायला सेक्रेटरीनी खास जरुर छ के जे आवां धर्मने लगतां फंडो उपर देखरेख राखे अने तेनी योग्य व्यवस्था करे. आपणा संसारिक रिवाजो केटलाक एवा छे, के वखतने अनुसरीने तेमां कांईक सुधारो थवानी जरुर छे, जेवा के बाळलग्न कन्याविक्रय, मरण पाछळ करवामां आवतो खर्च विगेरे. बाळलग्न करवाथी छोकरो शरीरे नबळो रहे छे अने तेनाथी थती प्रजा पण नबळी थाय छे. तेनो संसार मुखी थतो नथी अने गुजरानने माटे मुशीबतो पडे छे. तेवीज रीते मरण पाछळ करवामां आवतो जमणवार विगेरेनो खर्च तदन नकामो छे अने तेथी पाछळ रहेनारने दुःखदाई थई पडे छे. आवा केटलाक खराब रिवाजो दुर थाय तेना माटे प्रयास करवानी जरूर छे. वाजूं आपणी जैन कोमने लगती दरेक खबर पुरी पाडवा माटे एक डीरेक्टरीनी खास जरूर छ, तेनी अंदर तीर्थोनो, तेनी अंदरनी प्रतीमानो, पाठशाळानो, साधु साधीनो अने एवी वीजी धर्मने लगती बाबतनो समावेश थई शके. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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