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________________ मारवाड़ का इतिहास समय आउवे का ठाकुर बागियों से मिल गया, और उसने उन्हें अपने यहां बुलवा लिया । गूलर-ठाकुर बिशनसिंह और आलणियावास-ठाकुर अजितसिंह भी अपने आदमियों को लेकर आउवे जा पहुँचे । इसकी सूचना मिलते ही महाराज ने सिंघी कुशलराज और मेहता विजयमल को सेना लेकर उधर जाने की आज्ञा दी । आश्विन बदि ४ (७ सितम्बर ) को बीठोरा गांव के पास मारवाड़ की सेना का बागियों से युद्ध हुआ । रात होने पर किलेदार अनाड़सिंह ने खेजड़ला के ठाकुर हिम्मतसिंह और भाटी जगतसिंह को आउवे के ठाकुर कुशालसिंह को समझाने के लिये भेजा, और उसे बागियों का साथ छोड़कर महाराज की सेना में आ जाने के लिये कहलाया। इस पर कुशालसिंह ने लांबियां के ठाकुर पृथ्वीसिंह से सलाह कर दूसरे दिन प्रातःकाल महाराज की सेना में चले आने का वादा किया । परंतु ठाकुर के प्रधान कार्यकर्ता कछवाहा मानसिंह ने इस बात की सूचना गूलर-ठाकुर को, और उसने बागी-सेना के सेनापति को दे दी । इससे उस सेना का रिसालदार अब्बासअली कुछ रात रहते ही अपनी सेना को लेकर आउवा-ठाकुर के पास पहुंच गया और उसने ठाकुर से कहा कि हम लोग सूरज निकलने से पहले ही महाराज की सेना पर आक्रमण करना चाहते हैं । इसलिये या तो आप हमारा साथ दें, या हम से युद्ध करें । उस समय नगर और गढ़ में चारों तरफ़ सुसज्जित बागी सिपाहियों के फैले हुए होने से ठाकुर उसका विरोध न कर सका, और उसने लाचार होकर सिणली के ठाकुर चांपावत शक्तसिंह को अपना प्रतिनिधि बनाकर उस (रिसालदार) के साथ कर दिया। प्रातःकाल होने के पूर्व ही ये सब महाराज की सेना के मुकाबले पर जा पहुँचे । आलणियावास और गूलर के ठाकुर भी उनके साथ थे । शीघ्र ही दोनों तरफ़ से घमसान युद्ध जारी हो गया । परंतु सिंघी कुशलराज और मेहता विजयमल के झगड़ा होते ही भाग जाने और राजमल और अनाड़सिंह के युद्ध में मारे जाने से राजकीय सेना के पैर उखड़ गए । इस युद्ध में आहोर के ठाकुर ने वीरता से शत्रु का सामना कर राजकीय-तोपखाने को बागियों के हाथ में पड़ने से बचा लिया । १. हरजी गांव के ठाकुर का पुत्र कानसिंह बीठोरे गोद गया था । परन्तु प्राउवे के ठाकुर ने लांबिया-ठाकुर को सेना सहित भेज कर उसे मरवा डाला । इस से और उसकी अन्य उद्दण्डताओं से महाराज पाउवे के ठाकुर से अप्रसन्न थे । २. उसी समय का यह दोहार्ध मारवाड़ में प्रसिद्ध है: "लीला भाला फेरता भाग गया कुशलेश ।" ४५० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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