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________________ महाराजा तखतसिंहजी इसकी सूचना पाते ही उधर अजमेर से गवर्नर जनरल के एजेंट ने अंगरेज़ी सेना के साथ चढ़ाई की, और इधर जोधपुर से पोलिटिकल एजैंट कैपटिन मेसन आउवे को चला। अंगरेज़ी सेना ने वहां पहुँचते ही शत्रु-पक्ष से युद्ध छेड़ दिया। परंतु अभाग्य से कैपटिन मेसन अंगरेज़ी सेना के बदले बागियों की सेना में जा पहुँचा । उसे अकेला देख शीघ्र ही बागियों ने उसे मार डाला । इसके बाद एकवार तो सरकारी सेना ने बागियों को आउवे के तालाव की दीवाल के पीछे छिपने को बाध्य कर दिया, परंतु शीघ्र ही आसोप-ठाकुर शिवनाथसिंह ने हमला कर अंगरेजी सेना की बहुतसी तोपें छीन ली । इससे अंगरेज़ों की फ़ौज को मैदान छोड़ आंगदोस की तरफ़ हट जाना पड़ा । वहां से गवर्नर जनरल का एजैंट लौटकर अजमेर चला गया । यह समाचार सुन आसोज (कार) सुदि १२ (३० सितम्बर ) को महाराज ने आउवे की और उसके जिलेदारों की जागीरें जब्त कर ली और इसके बाद कुशलराज के नाम बागियों को दण्ड देने की आज्ञा भेजी । _____ कार्तिक वदि ११ (१३ अक्टोबर ) को बागी-सैनिक आउवे से रवाना होकर गंगावा, दूदोड़, लावा और रीयां होते हुए पीपाड़ के पास पहुँचे । सिंघी कुशलराज इस समय बीलाड़े में था । परन्तु उसकी हिम्मत उनका मुकाबला करने की न हुई । इसलिये महाराज ने कुचामन के ठाकुर केसरीसिंह को भी बागियों के पीछे रवाना किया । उसने कुशलराज को साथ लेकर नारनौल तक उनका पीछा किया । कुचेरे के पास उनका बागियों से सामना भी हुआ, परन्तु इसमें विशेष सफलता नहीं हुई । इस गड़बड़ में मँगसिर वदि ४ ( ५ नवंबर ) को आसोप-ठाकुर ने पाली के व्यापारियों का दस हजार का माल लूट लिया । इस पर मँगसिर सुदि ७ (२३ नवंबर ) को आसोप की जागीर जब्त करली गई । इसके बाद बडलू पर भी महाराज की सेना का अधिकार हो गया। यह देख आसोप-ठाकुर सामना करना छोड़ राजकीय सेना में चला आया । अंगरेज़ों की नई सेना ने डीसेसे आकर, माघ सुदि ५ (ई० स० १८५८ की २० जनवरी ) को, आउवे को घेर लिया। महाराज की सेना भी मय नींबाज और १. यह भी बागी-सैनिकों के साथ हो गया था । २. इसके बाद यह किले में कैद कर दिया गया था। परन्तु वि० सं० १६१६ की कार्तिक वदि ३० (दीपमालिका ई० स० १८५६ की २५ अक्टोबर) को मौका पाकर वहां से निकल भागा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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