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________________ महाराजा तखतसिंहजी मालानी होकर, जोधपुर तक ऊंटों की डाक बिठाने का प्रबंध किया गया । भादों वदि ५ ( १० अगस्त ) की रात को जोधपुर के किले की गोपालपौल के पास के बारूद-खाने पर बीजली गिरी । इस से वहां के आस-पास का दुहेरा कोट, गोपालपौल, फतैपौल और उनके आस-पास का कोट उड़गया । उस समय वहां के बड़े-बड़े पत्थर बारूद के ज़ोर से उड़कर शहर से करीब तीन कोस (चौपासनी नामक स्थान ) तक पहुँचे थे । इस पाषाण-वृष्टि से किले के आस-पास का शहर नष्ट होगया और करीब ४०० आदमी दब कर मर गए । किले पर के चामुण्डा के मन्दिर का बहुतसा भाग भी उड़ गया था । परंतु किसी तरह मूर्ति बच गई । शीघ्र ही राज्य की तरफ से दबे हुए पुरुषों को निकालने का प्रबंध किया गया । इस घटना से शायद और भी अधिक हानि होती । परंतु तत्काल वर्षा के आरम्भ हो जाने से आस-पास की बची हुई बारूद भीग गई । इससे आग की उड़नेवाली चिनगारियों से उसके भड़कने का डर जाता रहा। ___इसके बाद ही डीसा की छावनी वाली सेना के बाग़ी होने का समाचार जोधपुर पहुँचा । इस पर पाली के लोग घबरा गए । यह देख महाराज ने उनकी रक्षा के लिये कुछ आदमी वहां भेज दिए । __भादों सुदि ६ ( २५ अगस्त ) को ऐरनपुरे की सेना के बागी हो जाने की सूचना मिली । इस पर महाराज ने किलेदार अनाड़सिंह, लोढा राव राजमल और मेहता छत्रमल को १,००० सिपाही और ४ तोपें देकर उधर जाने की आज्ञा दी । ये लोग पाली में जाकर युद्ध की तैयारी करने लगे । बागी लोग भी ऐरनपुरे से रवाना होकर सांडेराव होते हुए गूंदोज पहुँचे । वहीं पर उन्हें पाली में ठहरी हुई जोधपुर की सेना का समाचार मिला । इससे वे पाली का मार्ग छोड़ खैरवे की तरफ चले गए । इसी १. इस डाक की चौकियां तीन-तीन कोस पर रक्खी गई थीं और प्रत्येक चौकी में दो-दो ऊँटों का प्रबन्ध किया गया था । २. यह बारूद का गोदाम पहाड़ खोद कर बनवाया गया था और इसमें अस्सी हज़ार मन बारूद भरा था। ३. उस समय वहां पर महाराज की तरफ से शाह रूपचन्द लोढा वकील नियत था । ४४४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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