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________________ मारवाड़ का इतिहास अर्थात्-राव जोधाजी ने तो अपने नाम पर जोधपुर नगर बसाया । महाराजा विजयसिंहजी ने (वल्लभ-संप्रदाय की भक्ति के कारण ) उसे व्रज बना दिया (अर्थात् यहां पर वैष्णवमत का बड़ा प्रचार किया)। परंतु महाराजा मानसिंहजी ने इसे एक साथ ही लखनऊ, काशी, दिल्ली और नेपाल बना दिया (अर्थात् यहां पर महाराज की गुणग्राहकता के कारण अनेक कत्थक, पंडित, गवैये और योगी एकत्रित हो गए थे।) महाराज के बनाए निम्नलिखित स्थान प्रसिद्ध हैं: किले में की जैपौल, जनानी डेवढी के सामने की दीवार, आयस देवनाथ की समाधि, लोहापौल के सामने का कोट, जैपौल और दखना ( दक्षिणी) पौल के बीच का कोट, चौकेलाव से रानीसर तक का मार्ग, उसकी रक्षा के लिये बनी दीवार, भैरूँपौल, चतुर्सेवा की डेवढी पर का नाथजी का मन्दिर और भटियानीजी का महल । __ महाराज ने जुगता बणसूर को 'लाख पसाव' देने के अलावा और भी कई गांव दान किए थे। - ---- -- १. महाराज ने किले में एक सामान रखने का कोठार भी बनवाया था। २. १ खटुकड़ा २ सारंगवा ( देसूरी परगने के ), ३ पतावा ( बाली परगने का ), ४ अनावास ( बीलाड़े परगने का ), ५ चारणवाड़ा ( सिवाना परगने का ), ६ पीथोलाव, ७ दुकोसी ८ ढाढरिया खुर्द ( नागोर परगने के ). इकडाणी (पचपदरा परगने की ) का एक हिस्सा, १० पाडलाऊ, ११ पटाऊ, १२ कूड़ी, ( पचपदरा परगने के ), १३ फरासला-खुर्द ( पाली परगने का ), १४ सींगासण (जोधपुर परगने का), १५ मेडावस १६ मींडावास ( जसवन्तपुर परगने के ), १७ धांधलावास, १८ वेदावड़ी-कलां ( मेड़ता परगने के ), १६ कटारडा २० तोलेसर २१ बासणी फटारी २२ नैरवा और २३ चवां ( जोधपुर परगने के ) चारणों को; २४ हरस-आधा (बीलाड़े परगने का ), २५ चुकावास २६ पालड़ी २७ बासडा २८ फागली ( नागोर परगने के ), २६ धनेड़ी ३० राज नगरिया (सोजत परगने के ), ३१ हरावास (पाली परगने का ), ३२ केसरवाली (जसवन्तपुरा परगने का ), ३३ गोरनडी खुर्द ( मेड़ते परगने का ), ३४ सिरोड़ी ३५ हतूंडी-आधी (जोधपुर परगने के), ३६ गुणपालिया (डीडवाने परगने का ) ब्राह्मणों को; ३७ बाघला, (पचपदरे परगने का ), ३८ अरणु ( जसवन्तपुरे परगने का ), ३६ भैसेर कोटवाली ( जोधपुर परगने का ) पुरोहितों को; ४० सुतला ( जोधपुर परगने का) रामेश्वर महादेव के मन्दिर को; ४१ गांगाणा ( जोधपुर परगने का ) बैजनाथ महादेव के मन्दिर को; ४२ बदड़ा आधा (जोधपुर परगने का ) गोपीनाथजी के मन्दिर को; ४३ पूंदला ४४ लूणावास ४५ राबड़िया ( जोधपुर-परगने के ), ४६ खेतावास ( नागोर परगने का ) यतियों को; ४७ यबूकड़ा ४८ नंदवाण, ४६ तनावड़ा-बड़ा ५० तनावड़ा छोटा ( जोधपुर परगने के ), ५१ खारिया फादड़ा (सोजत परगने का ) नाथों और गुसाँइयों को; ५२ सोढास-शामपुरा ( मेड़ता परगने का ) गया गुरु को; ५३ कीतलसर (नागोर परगने का ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034554
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1940
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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