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________________ मारवाड़ का इतिहास शेरशाहरूपी राहु के संयोग से पूर्ण ग्रहण का योग आ उपस्थित हुआ । यद्यपि कुछ ही काल में राव मालदेवजी ने अपने को उसके ग्रास से बचाकर एकबार फिर तेज `प्रकट किया, तथापि वह ढलते हुए सूर्य के समान ही रहा । उसमें वह प्रचंडता न आ सकी । इन्होंने अपने राज्यकाल में कुल मिलाकर ५२ युद्ध किए थे और एक समय छोटे-बड़े ५८ परगनों पर इनका अधिकार रहा था । उनके नाम इसप्रकार लिखे मिलते हैं: १ सोजत, २ मेड़ता, ३ अजमेर, ४ सांभर, ५ बदनोरं, ६ रायपुर, ७ भाद्राजणं, नागोर, १ खाटू, १० लाडणू, ११ डीडवाना, १२ फतेपुर, १३ कासली, १४ रेवासा, १५ चाटसू, १६ जहाजपुर, १७ मदारियाँ, १८ टोंक, १९ टोडा, २० चित्तौड़ के पास के प्रदेश, २१ पाली, २२ वरणवीरपुर, २३ सिवान, (अणखला), २४ लोहगढ़, २५ नाडोल, २६ जोजावर, २७ कुंभलमेरें ( के पास का प्रदेश ), २८ जालोरं, २६ सांचोरें', ३० भीनमाल, ३१ बीकानेर, ३२ पौकरन, ३३ फलोदी, ३४ चौहटन, ३५ पारकरे, ३६ कोटड़ी, ३७ बाहडमेरें", ३८ खाबर्डे, ३९ अमरसर, ४० उदयपुर ( पंवारों का छोटा ), ४१ उमरकोट, ४२ छापर, ४३ भूँझणू, ४४ जेखल, ४५ जैतारण, ४६ जोधपुर, ४७ नारनौल, ४८ नराणा, ४९ बँवली ( बोनली ), ५० मल्हारणा, ५१ समईगाँव, ५२ सातलमेर, ५३ मालपुरौं, ५४ कोसीथले, ५५ केकेंडी, ५६ पुरेंमांडल, ५७ लालसोट, ५८ राधनपुर । ご इनके अलावा किसी-किसी ख्यात में मालदेवजी का सिरोही के प्रांत को विजय कर वहाँ के रावल को वापस सौंप देना भी लिखा मिलता है । १. वीरमदेव से, २. बादशाही हाकिम से, ३. रानाजी से, ४. सींधल राठोड़ों से, ५. सींधल राठोड़ों से, ६. ख़ानज़ादों से, ७. रानाजी से, ८. जैतमालोत राठोड़ों से, ६. रानाजी से, १०. बिहारी पठानों से, ११. चौहानों से, १२-१३. पवारों से, १४-१५ मल्लिनाथजी के वंशज राठोड़ों से, १६. पवारों से, १७. शेखावाटी के कछवाहों से, १८. सोढों से, १६. ऊदावत राठोड़ों से, २०. पवारों से, २१. रानाजी से, २२-२३. शाही हाकिम से और २४. पवारों से छीने थे । २५. इस विषय में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता । . १४२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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