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________________ ७३६ जैनसम्प्रदायशिक्षा। होता है, यदि बाई तरफ बोलती हो तो उत्तम फल होता है तथा यदि दाहिनी तरफ बोलती हो तो उत्तम फल नहीं दोता है । २३-ग्राम को चलते समय यदि घुग्घू बाई तरफ बोलता हो तो उत्तम फल होता है, यदि दाहिनी तरफ बोलता हो तो भय उत्पन्न होता है, यदि पीठ पीछे बोलता हो तो वैरी वश में होता है, यदि सामने बोलता हो तो भय उत्पन्न होता है, यदि अधिक शब्द करता हो तो अधिक वैरी उत्पन्न होते हैं, यदि घर के ऊपर बोले तो स्त्री की मृत्यु होती है अथवा अन्य किसी गृहजन की मृत्यु होती है तथा यदि तीन दिन तक बोलता रहे तो चोरी का सूचक होता है। __२४-चलते समय कबूतर का दाहिनी तरफ होना लाभकारी होता है, बाई तरफ होने से भाई और परिजन को कष्ट उत्पन्न होता है तथा पीछे चुगता हुआ होने से उत्तम फल होता है। २५-यदि मुर्गा स्थिरता के साथ बाई तरफ शब्द करता हो तो लाभ और सुख होता है तथा यदि भय से भ्रान्त हो कर बाईं तरफ बोलता हो तो भय और क्लेश उत्पन्न होता है। २६-यदि नीलकण्ठ पक्षी सामने वा दाहिनी तरफ क्षीर वृक्ष के उपर बैठा हुआ बोले तो सुख और लाभ होता है, यदि वह दाहिनी तरफ हो कर तोरण पर आवे तो अत्यन्त लाभ और कार्य की सिद्धि होती है, यदि वह बाई तरफ और स्थिर चित्त से बोलता हुआ दीखे तो उत्तम फल होता है तथा यदि चुप बैठा हुआ दीखे तो उत्तम फल नहीं होता है। २७-नीलकण्ठ और नीलिया पक्षी का दर्शन भी शुभकारी होता है, क्योंकि चलते समय इन का दर्शन होने से सर्व सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। २८-ग्राम को चलते समय अथवा किसी शुभ कार्य के करते समय यदि भौंरा बाई तरफ फूल पर बैठा हुआ दीखे तो हर्ष और कल्याण का करनेवाला होता है, यदि सामने फूल के ऊपर बैठा हुआ दीखे तो भी शुभकारक होता है तथा यदि लड़ते हुए दो भौरे शरीर पर आ गिरें तो अशुभ होता है, इस लिये ऐसी दशा में वस्त्रों के सहित स्नान करना चाहिये और काले पदार्थ का दान करना चाहिये, ऐसा करने से सर्व दोष निवृत्त हो जाता है। २९-ग्राम को चलते समय यदि मकड़ी बाई तरफ से दाहिनी तरफ को उतरे तो उस दिन नहीं चलना चाहिये, यदि बाईं तरफ जाल को डालती हुई दीख पड़े तो कार्य की सिद्धि, लाभ और कुशल होता है, यदि दाहिनी तरफ से बाई तरफ को उतरे तो भी शुभ होता है, यदि पैर की तरफ से ऊपर जाँघ पर चढ़े तो घोड़े की प्राप्ति होती है, यदि कण्ठ तक चढ़े तो वस्त्र और आभूषण की प्राप्ति होती है, यदि मस्तक पर्यन्त चढ़े तो राजमान प्राप्त होता है तथा यदि शरीर पर चढ़े तो वस्त्र की प्राप्ति होती है, मकड़ी का ऊपर को चढ़ना शुभकारी और नीचे को उतरना अशुभकारी होता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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