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________________ पञ्चम अध्याय । ७३७ ३० - ग्राम को चलते समय कानखजूरे का बाईं तरफ को उतरना शुभ होता है। तथा दाहिनी तरफ को उतरना एवं मस्तक और शरीर पर चढ़ना बुरा होता है । ३१ - ग्राम को चलते समय यदि हाथी दाहिने दाँत के ऊपर सूँड़ को रक्खे हुए अथवा सूँड़ को उछालता हुआ सामने आता दीख पड़े तो सुख, लाभ और सन्तोष होता है तथा बाईं तरफ वा अन्य किसी तरफ सूँड़ को किये हुए दीखे तो सामान्य फल होता है, इस के अतिरिक्त हाथी का सामने मिलना अच्छा होता है । ३२–यदि घोड़ा अगले दाहिने पैर से पृथिवी को खोदता हुआ वा दाँत से दाहिने अंग को खुजलाता हुआ दीखे तो सर्व कार्यों की सिद्धि होती है, यदि बायें पैर को पसारे हुए दीख पड़े तो क्लेश होता है तथा यदि सामने मिल जावे तो शुभकारी होता है । ३३- ऊँट का बाईं तरफ बोलना अच्छा होता है, दाहिनी तरफ बोलना केशकारी होता है, यदि साँड़नी सामने मिले तो शुभ होती है । ३४ - यदि चलते समय बैल बाँयें सींग से वा बाँयें पैर से धरती को खोदता हुआ दीख पड़े तो अच्छा होता है अर्थात् इस से सुख और लाभ होता है, यदि दाहिने अंग से पृथिवी को खोदता हुआ दीख पड़े तो बुरा होता है, यदि बैल और भैंसा इकट्ठे खड़े हुए दीख पड़ें तो अशुभ होता है, ऐसी दशा में ग्राम को नहीं जाना चाहिये, यदि जावेगा तो प्राणों का सन्देह होगा, यदि डकराता ( दडूकता ) हुआ साँड़ सामने दीख पड़े तो अच्छा होता है । ३५ - यदि गाय बाईं तरफ शब्द करती हुई अथवा बछड़े को दूध पिलाती हुईं दीख पड़े तो लाभ, सुख और सन्तोष होता है तथा यदि पिछली रात को गाय बोले तो क्लेश उत्पन्न होता है । ३६-यदि गधा बाईं तरफ को जावे तो सुख और सन्तोष होता है, पीछे की तरफ वा दाहिनी तरफ को जावे तो क्लेश होता है, यदि दो गधे परस्पर में कन्धे को खुजलावें, वा दाँतों को दिखावें, वा इन्द्रिय को तेज करें, वा बाई तरफ को जावें तो बहुत लाभ और सुख होता है, यदि गधा शिर को धुने वा राख में लोटे अथवा परस्पर में लड़ता हुआ दीख पड़े तो अशुभ और क्लेशकारी होता है तथा यदि चलते समय गधा बाईं तरफ बोले और घुसते समय दाहिनी तरफ बोले तो शुभकारी होता है । ३७ - ग्राम को चलते समय बन्दर का दाहिनी तरफ मिलना अच्छा होता है तथा मध्याह्न के पश्चात् बाईं तरफ मिलना अच्छा होता है । ३८- यदि कुत्ता दाहिनी कोख को चाटता हुआ दीख पड़े अथवा मुख में किसी भक्ष्य पदार्थ को लिये हुए सामने मिले तो सुख, कार्य की सिद्धि और बहुत लाभ होता है, फले और फूले हुए वृक्ष के नीचे बाड़ी में, नीली क्यारियों में, नीले तिनकों पर; द्वार की ईंट पर तथा धान्य की राशि पर यदि कुत्ता पेशाब करता Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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