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________________ चतुर्थ अध्याय । २६७ वनस्पतियों का खाना बतलाया है उन का उचित विधि से उपयोग करने पर वे पूरा गुण करती हैं, उन में से कुछ वनस्पतियां ये हैं-भूकोला, शतावर, असगंध, गोखरू, कोंच के बीज, आँवला और शंखाहुली, इन के सिवाय और भी बहुतसी वनस्पतियां हैं जो कि अत्यन्त गुणवाली हैं, जिन का मुरब्बा अथवा लड्डू बना कर खाने से अथवा अवलेह बनाकर चाटने से मगज़ के मजातन्तु दृढ़ और पुष्ट होते हैं, बल बुद्धि और वीर्य बढ़ता है तथा मनसम्बन्धी व्यग्रता और अस्थिरता दूर होती है, इन के सिवाय हमारे विवेकलब्धि शीलसौभाग्य कार्यालय का बना हुआ पुष्टिकारक चूर्ण दूध के साथ लेने से गर्मी आदि मगज़ के विकारों को दूर कर ताकत देता है तथा वीर्य के बढ़ाने में यह सर्वोत्तम वस्तु है । गज़ की निर्बलता के समय गेहूँ, चना, मटर, प्याज, करेला, अरवी, सफरचन्द, अनार और आम आदि पदार्थ पथ्य हैं 1 स्मरणशक्ति तथा बुद्धि को बढ़ानेवाली खुराक । भ्मरणशक्ति तथा बुद्धि मगज से सम्बंध रखती है और उस की शक्ति का मुख्य आधार मन का प्रफुल्लित होना तथा नीरोगता ही है, इसलिये सब से प्रथम तो स्मरणशक्ति तथा बुद्धि के बढ़ाने का यही उपाय है कि - सदा मन को प्रसन्न रखना चाहिये, तथा यथायोग्य आहार और बिहार के द्वारा नीरोगता को कायम रखना चाहिये, इन दोनों के होते हुए स्मरणशक्ति तथा बुद्धि के बढ़ाने के लिये दूसरा उपाय करने की कोई आवश्यकता नहीं है, हां दूसरा उपाय तब अवश्य करना चाहिये जब कि रोग आदि किसी कारण से इन में त्रुटि पड़ गई हो तथा वह उपाय भी तभी होना चाहिये कि जब शरीर से रोग बिलकुल निवृत्त हो गया हो, इसके लिये कुछ सतावर आदि बुद्धिवर्धक पदार्थों का वर्णन प्रथम कर चुके हैं तथा कुछ यहां भी करते हैं: --- दूध, घी, मक्खन, मलाई और आँवले के पाक वा मुरब्बे को दवा की रीति से थोड़ा २ खाना चाहिये, अथवा बादाम, पिस्ता, जायफल और चोपचीनी, इन चीजों में से किसी चीज़ का पाक बना कर घी बूरे के साथ थोड़ा २ खाना चाहिये, अथवा बादाम की कतली लड्डू और शीरा आदि बनाकर भी पाचनशक्ति के अनुसार प्रातः वा सन्ध्या को खाना चाहिये, इन का सेवन करने से बुद्धि तथा स्मरणशक्ति अत्यन्त बढ़ती है, अथवा हमारा बनाया हुआ पुष्टिकारक चूर्ण बुद्धिशक्ति को बहुत ही बढ़ाता है उस का सेवन करना चाहिये, अथवा ब्राह्मी १ मासा, पीपल १ मासा, मिश्री ४ मासे और आँवला १ मासा, इन को पीस तथा छान कर दोनों समय खाना चाहिये, ३१ वा ४१ दिन तक इस का सेवन करना चाहिये, तथा पथ्य के लिये दूध भात और मिश्री का भोजन करना चाहिये, इन के सिवाय दो देशी साधारण, दवायें वैद्यक में कही हैं जो कि मगज़ की शक्ति, स्मरणशक्ति तथा बुद्धि के बढ़ाने के लिये अत्यन्त उपयोगी प्रतीत होती हैं, वे ये हैं: Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034525
Book TitleJain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreepalchandra Yati
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1931
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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