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________________ [ २१२ ] पजाब देशके होते भी और अनेक शास्त्रों में कार्तिकमासका दुलासासें लिखा होते भी भोले जीवोंके आगे अपनी बात . । नमानेके लिये अपने देशकी और शास्त्र की बातको छोड़कर अनेक शास्त्रोंका पाट भी छोड़ते हुए, गुजराती भाषाका प्रमाण लेकरके आसोज मास प्रतिबद्धा दीवाली लिखते हैं सो भी विचारने योग्य बात है और अधिक मास होनेसे अवश्य करके सातमें मासे ओलियां करने में आती हैं तथापि म्यायांभोनिधिजीने अधिक मास होते भी छ मासके अन्तर में लिखा हैं सो मिथ्या है और जैन शाखोंमें तथा लौकिक में जो जो मास तिथि नियत पर्व है सो अधिक मास होने में प्रथम मासका प्रथम पक्ष में और दूसरे मासका दूसरा पक्ष में करनेमें आते हैं इस बातका विशेष निर्णय शहर समाधान सहित उपरोक्त पांच और सातमें महाशयक नामकी समीक्षा आगे देखके सत्यासत्यका पाठक वर्ग स्वयं विचार करलेना ;___ और आगे फिर भी न्यायांभोनिधिजीने लिखा है कि ( हे मित्र भाद्रव मास प्रतिबद्ध ऐसा परम पर्युषणापर्व और मासमें करना यह सिद्धान्तसें भी और लौकिक रीतिसे भी विरुद्ध है ) इस लेख में न्यायांसोनिधिजी दो श्रावण होते भी भाद्रव मास प्रतिबद्ध पर्युषणा ठहरा करके दो मावण होनेसे दूसरे श्रावणमें पर्युषणा करने वालोंकों सिद्धान्त से और लौकिक रीतिसें भी विरुद्ध ठहराते हैं सो निःकेवल आपही उत्सूत्र भाषण करते हैं क्योंकि दो मावण होनेसे श्रीखरतरगच्छके तथा श्रीतपगच्छादिके अनेक पूर्वाचायोने दूसरे माधणमें पर्युषणापर्व करनेका अनेक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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