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________________ [ १२५ ] अधिक मासकी गिनती करने वाले श्रीखरतरगच्छादि वालोंको पर्युषणा पीछाडी एकसो दिन होते हैं परन्तु कोई शास्त्र के वचनको बाधाका कारण नहीं है और श्री समवायांगजीमें पीवाडी 90 दिन रहने का कहा है सो मास वृद्धिके अभा बसे है इसका खुलासा उपरोक्त देखो इसलिये मास वृद्धि होनेसे १०० दिन होवे तो भी श्रीसमवायांगजी सूत्रके वचनको कोई भी बाधाका कारण नहीं है । तथापि तीनों महाशय श्रीसमवायांगजी सूत्र के नामसे पीछाड़ीके 30 दिन रखनेका हठ करते है । और श्रीखरतरगच्छादि वालोंके उपर आक्षेपरूप पर्युषणाके पोछाड़ी 90 दिन रखने के लिये दो आश्विन मास होनें से दूजा आश्विन में चौमासी कृत्य करनेका दिखाते है । और कार्त्तिक में करनेसें १०० दिन होते है जिससे श्रीसमवायांगजी सूत्रका पाठकै बाधक ठहराते हैं सो मिथ्या हैं क्योंकि श्रीखरतरगच्छवाले श्रीसमघायांगजी सूत्रका पाठके बाधक कदापि नही ठहरते हैं किन्तु तीनों महाशय और तीनों महाशयोंके पक्षधारी सब ही श्रीसमवायांगली सूत्रके पाठके उत्थापक बनते हैं सो ही दिखाता हुँ । तीनों महाशय ( समणे भगवं महावीरे arerणं सवीस राइमासे वीइते इत्यादि ) पाठको तो खास करके मंजूर करते हैं । इस पाठमें पचास दिन कहे हैं, वर्तमानिक कालानुसार पचास दिने पर्युषणा इस पाठसे करनी मानों तो श्रावणमासको वृद्धि होते दूजा श्रावण शुदीमें पचासदिने पर्युषणा तीनों महाशयोंको और इन्हों के पक्षधारिओंको मंजूर करनी चाहिये । सो नही करते हैं और दो श्रावण होते भी ८० दिने पर्युषणा करते Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034484
Book TitleBruhat Paryushana Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManisagar
PublisherJain Sangh
Publication Year1922
Total Pages556
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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