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________________ [ ४५७ ] श्रीसोमसुंदर मरिजीकत श्रीकल्पांतर वाच्यमें २३-तथा प्रसिद्ध तीनो महाशयोंकत (श्रीकल्पकिरणावली दीपिका मुखबोधिका इम) तीनों बत्तिओंमें २६, श्रीअंचलगच्छके श्रीउदयसा. गरजी रुत श्रीकल्पावचूरिरूप वृधि २७, कलिकाल सर्वज्ञ विरुदधारक श्री हेमचंद्राचार्यजी कृत श्रीत्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्रके दशवा पर्व श्रोषीरचरित्रमें २८, श्रीचंद्रतिलकोपा. ध्यायजी कृत श्रीअभयकुमार चरित्रमे २९, श्रीपूर्वाचार्योंके. बमाये श्रीवीरप्रभुके प्राकृत तीनों चरित्रों में ३२, श्रीजयतिलक सरिजी कृत श्रीसुलसाचरित्रमें ३३, श्रीजिनपति स रिजी कृत श्रीसंघहक वृहशाति३४, तथा श्रीसमाचारोमें ३५, श्रीसमयदरजी कृत श्रीसमाचारीशतकमें ३६, श्रीतपगच्छ के श्रीपर्वाचार्यों के बनाये श्रीकल्पन के चारों बालावबोधों में ४०, श्रीसंघविजयजी कृत श्रीकल्पप्रदीपिका नामा वृत्ति में ४१, श्रीसहजको तिजोकत श्रीकल्पमंजरीत्ति में ४२, श्री हीरविजय स रिजी के संतानिय श्री शांतिचंद्रगणिजी कृत श्री बूद्वीपप्रज्ञप्ति सत्र की वृत्ति में ४३, इत्यादि अनेक शास्त्रों में श्रीतीर्थंकर गणधर पूर्वधरादि पूर्वाचार्योंने तथा श्रीखरतरगच्छके और श्रीतपगच्छादिके पूर्वाचार्योने श्रीवीर. प्रभुके छ कल्याणकों की खुलासा पूर्वक व्याख्याकरी हैं सो छ कल्याणक संबंधी सब पाठ यहां लिखनेसे बहुत विस्तार हो जावेगा इसलिये थोडेसे शास्त्रोंके पाठ इस जगह पाठक गणको निःसंदेह होनेके लिये लिखकर दिखाताहूं। १-श्रीचौदहपूर्व घर त केवलि श्रीभद्रवाहुस्वामीजीने श्रीकल्पस त्रकी आदिमेंही श्रीवीरप्रभुके छ कल्याणकों की व्याख्याकी है जिसको श्रीखरतरगच्छ वाले तथा श्रीतपग Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034474
Book TitleAth Shatkalyanak Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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