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________________ [ ४५६ 1 चूलिका १, श्रीशीटांगाचार्यजी कृत श्रीआचारांगनी सूत्रके चूलिकाकी वहत्तिमें २, श्रीजिनहंस सूरिजीकृत तद् दीपिका वृत्ति, ३, श्रीगणधर महाराजकृत श्रीस्थानांगलीसूत्र में ४, श्रीखरतरगच्छनायक श्रीनवांगी वृत्तिकार श्रीअभयदेवसूरिजीत श्रीस्थानांगजीकीवृत्ति, ५, तथा श्रीपूवाचार्य. जीकृत दूसरी वृत्ति ६, श्रीभद्रबाहुस्वामीजीकृत श्रीदशा अतस्कंध में 9, श्रीपूर्वधर पूर्वाचायंजीकृत श्रीदशातस्कंधको (पर्युषणाकल्प की) चूर्ण में ८, श्रीब्रह्मर्षिजीकृत उपरोक्त सूत्र को वृत्ति र श्रीभद्रबाहुस्वामीजी कृत श्रीआवश्यकसूत्रकी नियुक्तिमें १०, श्रीजिनदासगणिमहत्तराचायचो कृत श्रीमा. वश्यक चूर्णिमें ११, श्रीहरिभद्रसूरिजी कृत तत्सूत्रको बृहद्वत्ति १२ तथा श्रीतिलकाचार्यजीकृत लवत्ति, १३, श्री भद्रबाहुखामीजी कृत श्रीकल्पसत्र, १४, श्रीजैनतत्वादशंके बारहवें परिच्छदमें श्रीतपगच्छकी पहावली लिखी है जि. समें ४० वें पहमें श्रीनेमिचंद्रमरिजीको लिखे हैं जिन्हों के शिष्य श्रीमुनिचंद्रसूरिजीहुए इनके शिष्य श्रीरत्नसिंहसूरिजो हुवे और इनके शिष्य नीविनयचंद्रजी कत श्रीकल्पसत्रके निरुक्त में १५, श्रीचंद्रगच्छके श्रीदेवसेनगणिजीके शिष्य श्रीपथ्वीचंद्रजीकृत श्रीकल्पसूत्रके टिप्पणाने १६, श्रीखरतरगच्छके श्रीजिनप्रभमरिजीकृत श्रीकल्पमत्रकी सदेह विषौषधि कृत्ति में १७, तथा श्रीलक्ष्मीबल्लभगणिजी कृत श्री कल्पद्रुम कलिका बृत्तिमें १८, और श्रीसमयसुन्दरजी कत श्रीकल्पकल्पलता बृत्ति में १८, मल्ल धारी श्रीहेमचंद्रमरिजीके शिष्य श्री विजय सिंहस दिजो कत श्रीकल्पावबोधिनी बत्तिौ २१, श्री तपगच्छके श्रीकुलमडनस रिजीकत श्रीकल्पावचूरिम २२, तथा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034474
Book TitleAth Shatkalyanak Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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