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________________ [ 969 ] महाराज जागे धणा एकने कल्याणक सम्बन्धी सम्देह छे वे संदेह तो भी केवली भगवान् टालीशके परंतु महारु सामर्थ्य न थी " इस प्रकारका श्रीज्ञान बिमल सूरिजीका लेख देखकर हमको बड़ा अश्चर्य्यं उत्पन्न होता है क्योंकि बहुत लोगोंको कल्याणक संम्बन्धी संदेह है सो वो सम्देह केवल भगवान् निवारण कर सके परन्तु ज्ञान विमल सूरिजीको सामर्थ्य नहीं है शास्त्र में १२१ कल्याणक देखाते नहीं हैं "पछीतो श्रीगुरुजी महाराज जाणे" इन अक्षरोंसे ज्ञान विमल सूरिजी के भी छ कल्याणक संबन्धी संदेह है इसलिये इसका निर्णय गुरुपर गेर दिया आज इस जगह विचार करना चाहिये कि छ कल्याणक सम्बन्धी आप सन्देहमें पड़े हैं और दूसरोंका सन्देह मिटानेकी शक्ति नहीं तो फ़िर कल्याणकोंके मानने वालोंकी निःकेवल भ्रांति और बड़ीभूड कह देना यह गच्छ कदा ग्रहका दृष्टि रागके सिवाय और क्या होगा सो विवेकी तत्वज्ञ जन स्वयं विचार सकते हैं । और शास्त्र में १२१ कल्याणक देखाते नहीं हैं इसपर तो मुझे सिर्फ इतना कहना है कि शास्त्र में पुरुष तीर्थंकर होवे परन्तु स्त्री नही होवे ऐसा लिखा है तिस पर भी इस अवसर्पिणी में कालानुभावसे कर्मानुसार १० में मल्लीनाथ स्त्रीपने में हुए सो मानते हैं तथा तीर्थंकर उत्तम कुलमें अवतरे परन्तु भिक्षारी दलिट्री के कुलमें अवतरे नहीं ऐसा शास्त्रमें लिखा है तिस पर भी वर्तमान चौबीसी में कर्मानुसार २४ वें वीर प्रभु भगवान् ब्राह्मणके कुलमें अवतरे सो मानते हैं और सर्व तीर्थंकर महाराजोंके एक एक माता एक एक पिता होवे परन्तु दो दो माता तथा दो दो पिता न होवे ऐसा शास्त्र में लिखा है तिस पर भी २४ वें भगवान् के दो माता हो पिता दो भव दो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034474
Book TitleAth Shatkalyanak Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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