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________________ [४ ] उत्पन्न हुए। इसी तरहसे श्रीपद्मप्रभुजीके पांच कल्याणकों के सूत्र मुजवही श्रीसुविधनाथजी आदि सबी तीर्थकर महाराजोंके पांच पांच कल्याणकोंकी खलासा पूर्वक व्या. ख्या समझ लेना सो श्रीतीर्थंकर महाराजोंके नाम पूर्वक कल्याण कों के नक्षत्र मात्रही यहां दिखातेहै। उठे श्रीपदम् प्रक्षजी महाराजके पांच कल्याणक चित्रा नक्षत्र में हुए १, और श्रीसुविधीनाय तोके पांच कल्याणक मल नक्षत्र में हुए २, श्रीशीतलनाथजो के पांच कल्याणक पूर्वाषाढा नक्षत्र में हुए ३, श्रीविमलनाथजीके पांच कल्याणक उत्तराभाद्रपदमें हुए ४, श्रीअनत नाथजीके पांच कल्याणक रेवती नक्षत में हुए ५, श्रीधर्मनाथ नीके पांच कल्याणक पुष्प नक्षत्रमैं हुए ६, श्रीशांतिनाथ जीके पांच कल्याणक भरणी नक्षत्र में हुए ७, श्रीकुथुनाथजीके पांच कल्याणक कतिका नक्षत्रमंहुए ८, श्री अरनाथ जी के पांच कल्याण करेवती नक्षत्र में हुए ए, श्रीमुनि सुब्रत स्वामी नीके पांचकल्याणक श्रवणनक्षतमेंहुए १०,श्रीनमिनाथजीके पांच कल्याणक अश्विनी नक्षतमें हुए १९, श्रीनेमनाथजीके पांच कल्याणक चित्रा नक्षतमें हुए १२, श्रीपार्श्वना. चजी के पत्र कल्याणक विशाखा नक्षतमें हुए १३, श्री महावीर स्वमीज.के पांच कल्याणक उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में हुए १४, सोफिरभी मत्रकार खुलासे कहते है कि, अमण भगवान् श्री महावीर स्वामी के पांच कल्याणक उत्तरा फाल्गुनी में हुए सो उत्तराफाल्गुनी में देवलोक ध्यत्र कर के देवानदा माताकी कुक्षिमें उत्पन्न हुए १, उत्सराफाल्गुनीमें त्रिशला माताकी कुक्षि स्थापन हुवा २, उसी नक्षत्र में जन्महुवा ३, उसी नसत्रम दीक्षा ली ४, उसो नक्षत्र में अनंन्त सबसे उत्तम उत्कृष्ट यावन कंबल घर जान दर्शन उत्पन्न हुवा ५, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034474
Book TitleAth Shatkalyanak Nirnay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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