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________________ अहोरात्रि पर्यन्त साधना करूँगा/करूँगी। क्षेत्र से-अपनी मर्यादा अनुसार, जिस क्षेत्र में निवास करूँ। काल से-जीवन पर्यन्त तक धारणा प्रमाणे। भाव से-क्षयोपशम भावपूर्वक दो करण तीन योग से सावद्य परिणामों का त्याग करता/करती हूँ। पौषध व्रत के अतिचार 1. अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय सेज्जासंथारए-शय्या संथारा का प्रतिलेखन न किया हो या अच्छी तरह न किया हो। 2. अप्पमज्जिय-दुप्पमज्जिय सेज्जा संथारए-शय्या संथारा पूँजा न हो या अच्छी तरह से न पूँजा हो। 3. अप्पडिलेहिय-दुप्पडिलेहिय उच्चार पासवण भूमि-लघुनीत और बड़ी नीत परठने की जगह का प्रतिलेखन न किया हो या अच्छी तरह न किया हो। 4. अप्पमज्जिय-दुप्पमज्जिय उच्चार पासवण भूमि-परठने की भूमि पूँजी न हो या अच्छी तरह न पूँजी हो। 5. पोसहस्स सम्म अणणुपालणया-पौषध व्रत का अच्छी तरह पालन नहीं किया हो। पौषध व्रत के नियम 1. महिने में अष्टमी, चतुर्दशी, पक्खी एवं पर्व के दिनों में पौषध ( ) करूँगा/करूँगी। 2. चौमासी, महावीर जयंती, पर्युषण, संवत्सरी को पौषध ( करूँगा/करूँगी। 3. अष्ट प्रहर पौषध प्रतिवर्ष ( ) संख्या, प्रतिमास ( करूँगा/करूँगी। 4. चार/पाँच प्रहर पौषध प्रतिवर्ष ( ) प्रतिमास ( ) करूँगा/करूँगी। | करूगा/ 54
SR No.034372
Book TitleShravak Ke Barah Vrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangla Choradiya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2015
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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