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________________ 12. दंतण विहि-दतौन (दाँतुन) टूथपेस्ट, पावडर या किसी पेड़ का दाँतुन सचित्त ( ) अचित्त ( ) प्रतिदिन ( ) जाति। (परिशिष्ट 'च' में देखें) 3. फल विहि-फल के प्रकार नहाने धोने के काम में आने वाले आँवला, अरीठा आदि फल की जाति ( ) प्रतिदिन ( ) वजन तक। 4. अभंगण विहि-तेल, इत्र की जाति ( ) प्रतिदिन वजन ( ) तक। 5. उवट्टण विहि-पीठी, दही, साबुन, मिट्टी, शिकाकाई, साजीखार, आदि शरीर पर लेप करने की वस्तुएँ प्रतिदिन वजन ( ) तक। 6. मज्जणविहि-स्नान करने की मर्यादा प्रतिदिन ( ) एक मास में ( ) एक वर्ष में ( ) बार तक, एक बार के स्नान में पानी ( ) लीटर तक, नदी, तालाब आदि में स्नान का त्याग, अष्टमी, पक्खी को त्याग, स्पंज की छूट, बाहर गाँव और मरण प्रसंग में स्नान करना पड़े तो आगार । 7. वत्थविहि-पहनने, ओढ़ने तथा काम में आने वाले वस्त्र सूती नग ( ) रेशमी नग ( ), ऊनी नग ( ) प्रतिदिन ( ) जोड़ी से अधिक नहीं पहनूंगा/पहनूँगी। 8. विलेवण विहि-शरीर पर लेप करने के चन्दन, केशर, कपूर, तेल, स्नो क्रीम, वेस्लीन, पावडर, लिपस्टिक, मेहन्दी, सेंट इत्र आदि ( ) वजन ( ) तक प्रतिदिन। 9. पुप्फविहि-फूल (गुलाब, मोगरा, चंपा, चमेली आदि) प्रतिदिन ( ) बार से अधिक नहीं। वर्ष में ( ) बार उपरान्त त्याग । a (परिशिष्ट 'छ' देखें) 31
SR No.034372
Book TitleShravak Ke Barah Vrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangla Choradiya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2015
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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