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________________ बोल जीव. गुण. योग. उप. ले. 78. बादर के पर्याप्त विशेषाधिक 6 14 15 12 6 79. बादर वनस्पतिकाय के अपर्याप्त असंख्यात गुण 1 1 3 3 4 80. बादर के अपर्याप्त विशेषाधिक 6 3 5 9 6 81. समुच्चय बादर विशेषाधिक 12 14 15 12 6 82. सूक्ष्म वनस्पतिकाय के अपर्याप्त असंख्यात गुण ___ 1 1 3 3 3 83. सूक्ष्म के अपर्याप्त विशेषाधिक 1 1 3 3 3 84. सूक्ष्म वनस्पतिकाय पर्याप्त संख्यात गुण ___1 1 1 3 3 85. सूक्ष्म के पर्याप्त विशेषाधिक 1 1 1 3 3 86. समुच्चय सूक्ष्म विशेषाधिक 2 1 3 3 3 87. भवसिद्धिया विशेषाधिक। ___14 15 12 6 88. निगोदिया जीव विशेषाधिक 4 1 3 3 3 89. वनस्पतिकाय के जीव विशेषाधिक 4 1 3 3 4 90. एकेन्द्रिय जीव विशेषाधिक 4 1 5 3 4 91. तिर्यञ्च जीव विशेषाधिक 14 5 13 9 6 92. मिथ्यादृष्टि जीव विशेषाधिक 14 1 13 6 6 93. अव्रती जीव विशेषाधिक 4 13 9 6 94. सकषायी जीव विशेषाधिक __ 10 15 10 6 95. छद्मस्थ जीव विशेषाधिक 14 12 15 10 6 96. सयोगी जीव विशेषाधिक 14 13 15 12 6 97. संसारी जीव विशेषाधिक 14 14 15 12 6 98. समुच्चय जीव विशेषाधिक 14 14 15 12 6 14 36 36
SR No.034370
Book TitleRatnastok Mnjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2016
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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