SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 160 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य हैं कि विश्व को कुल प्रोटीन के लगभग 15% भाग की पूर्ति लालटेन मछलियों से होती है। _प्रदीपी जीवों में जुगनुओं की जाति बहुत प्रसिद्ध है। संसार में इनकी लगभग दो हजार उप जातियाँ हैं। इनकी प्रत्येक जाति का आकारप्रकार और प्रकाश अलग-अलग होता है। इनका प्रकाश केवल उसी जाति की मादा पहचानती है और वह जुगनू को आकृष्ट करने के लिए हल्का-सा प्रकाश उत्सर्जित करती है। लगभग पचास जुगनुओं में इतना प्रकाश होता है कि उन्हें इकट्ठा करके एक स्थान पर दें तो पुस्तक पढ़ी जा सकती है। आदिवास लोग जुगनुओं को संग्रह करके दीपक का काम लेते हैं। रात्रि में अपने पैरों में जुगनू बाँधकर चलते हैं, जिससे उनको मार्ग दिखाई देने लगता है। जुगनू अपने प्रकाश का उपयोग अनेक प्रकार से करते हैं, यथाशिकार ढूँढ़ना, उसे अपनी ओर आकर्षित करना, अपने चौकीदार को पास बुलाना आदि। यह मादा नर को पास बुलाने का संकेत करती है तो इसका प्रकाश सत्तर-अस्सी मीटर दूर से दिखाई देता है। जुगनू के प्रकाश में अल्ट्रा-वायलेट और इंफ्रा-रेड किरणे नहीं होती हैं अतः उसमें उष्णता बिल्कुल नहीं होती है और इस प्रकाश की आग शीतल होती है। इसका एक कारण उसमें ल्यूसिफेरिन नामक पदार्थ का होना भी है। वैज्ञानिक ई. एन. हार्वे ने सन् 1958 में अपने अनुसंधान से पता लगाया कि प्रदीपी जीवों में 'न्यूसीफेरेस' नामक जो रासायनिक पदार्थ होता है उसका वे जीव अपने जीवन में चाहे कितनी बार उपयोग करें उस
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy