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________________ त्रसकाय 159 हरा प्रकाश प्रकट करने वाले जीवों में 'जेलीफिश' भी एक है। इससे रात के गहरे अंधेरे में एकाएक तेज हरा प्रकाश फैल जाता है और फिर एकाएक यह अपना प्रकाश निकालना बंद कर देती है तो गहरा अंधेरा छा जाता है। कुछ जंतु अपने शरीर से नीला प्रकाश छोड़ते हैं। ऐसा ही एक जंतु जापान के निकट सिप्रिडाइगा समुद्र के तट के जल में पाया जाता है, जो रात्रि में भोजन की खोज में निकलता है। उस समय उसके चारों ओर नीला प्रकाश छा जाता है। कुछ जंतु ऐसे होते है जिनके शरीर से दो रंग का प्रकाश निकलता है। ऐसा ही एक जीव 'ग्रव' है। यह अमेरिका में पाया जाता है। इसके लार्वा के सिर पर दो चमकीले बिंदु होते हैं, जिनमें लाल रंग का प्रकाश निकलता है। यह प्रकाश ऐसा लगता है, मानो सिगरेट जल रही हो। लार्वा के दोनों और ग्यारह बिंदु होते हैं जिनसे हरा प्रकाश निकलता है। रात्रि को जब यह लार्वा चलता है, तो उसके सिर पर चमकने वाला लाल प्रकाश ईंधन की रोशनी लगती है। इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है, मानो रेल चल रही हो। अतः यह जीव रेल कोड धर्म के नाम से पुकारा जाता है। कुछ मछलियों के शरीर से इतना प्रकाश निकलता है कि अंधेरे में भी उजाला हो जाता है। इन मछलियों को लालटेन मछली कहते हैं। यह अरब सागर में सबसे अधिक पाई जाती है। ये समुद्र में काफी गहराई में रहती हैं। इन मछलियों को 'लैक साउथ कार्डिनल' भी कहा जाता है। चाँदी की तरह इनका रंग सफेद चमकीला होता है। रात्रि के समय भोजन की तलाश में जब ये मछलियाँ समुद्र की सतह पर जाती हैं, तब इनका प्रकाश अंधेरे को चीरता हुआ दूर-दूर तक फैल जाता है। ये इतनी अधिक
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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