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________________ 158 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य निकलने की बात कही है। यह इन्हीं कवकों और बैक्टीरिया जीवों का परिणाम हो सकती है। कभी-कभी गोश्त और मृत मछली के शरीर से प्रकाश निकलता देखा जाता है, वह भी यहाँ पर बैक्टीरिया उगने का ही परिणाम समझना चाहिये। ___कुकुरमुत्ता जाति की लगभग पचास प्रदीपी वनस्पतियाँ प्रकाश में आयी हैं। कुछ छत्रधारी कुकुरमुत्तों के छाते चमकते हैं, कुछ के उत्पादक अंग अर्थात् बीजाणु चमकते हैं। अमरीका में पाँच इंच से बड़े नाप वाला कलीटोसाइके इत्न्यडेन्स बड़ा ही चमकदार कुकुरमुत्ता होता है। यह रात्रि को नारंगी प्रकाश देता है, जिससे जंगल जगमगा उठता है। जापान में मूनलाइट प्रकाश अर्थात् चछिका छत्रक कहा जाता है। चित्त भ्रान्ति कारक दवा “मीलो साइबिन" ऐसे ही प्रकाशमय कुकुरमत्ते ‘सीलोननाइवे' से बनायी जाती है। न्यूजीलैण्ड की कुछ गुफाएँ प्रकाश से जगमगाती रहती है। यह प्रकाश ग्लोवर्म-लार्वा के शरीर से प्रकट होता है। ये लार्वा हजारों की संख्या में गुफा की छत पर रेंगते रहते हैं। इनके शरीर से एक लम्बा प्रदीपी धागा लटका रहता है। जब कोई गुफा में आवाज करता है या गुफा की दीवारों पर थपथपा देता है तो सभी लार्वा एक साथ प्रकाश निकालना बंद कर देते हैं और गुफा में अंधेरा हो जाता है। वहीं एक कृमि-कीट 'सेटोन्टेरत' पाया जाता है। यह इतना चमकीला होता है कि इसे जलमछली खा लेती है तो उसका पेट चमकने लगता है। अमेरिका की चेजपीक खाड़ी में 'नाक्टील्यूका' नाम का जीव होता है। 'नाक्टील्यूका' का शाब्दिक अर्थ होता है 'रात्रि का प्रकाश'। ये जीव इतने सूक्ष्म होते हैं कि सूक्ष्मीदर्शी यंत्र से दिखाई देते हैं, आँख से नहीं दिखाई देते। परंतु ये इतनी अधिक संख्या में होते हैं कि खाड़ी का पानी बहुत दूर तक हरे प्रकाश से जगमगाता दिखाई देता है।
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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