SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट-4] परिशिष्ट-4 प्रश्न 1. उत्तर प्रश्न 2. उत्तर प्रश्न 3. उत्तर प्रश्न 4. उत्तर प्रश्न 5. उत्तर प्रश्न 6. उत्तर प्रश्न 7. उत्तर प्रतिक्रमण-संबंधी विशेष प्रश्नोत्तर 159} मन्त्र किसे कहते हैं ? जिसमें कम शब्दों में अधिक भाव और विचार हों और जो कार्यसिद्धि में सहायक हो, जिसके मनन से जीव को रक्षण प्राप्त हो, उसे मन्त्र कहते हैं । नवकार मन्त्र का क्या महत्त्व है ? नवकार मन्त्र का अर्थ है नमस्कार मन्त्र। प्राकृत भाषा में नमस्कार को 'णमोक्कार' कहते हैं। इसमें पाँच पदों को नमन किया गया है। इनमें से दो देवपद (अरिहंत और सिद्ध) एवं शेष तीन गुरु पद (आचार्य, उपाध्याय एवं साधु) हैं। ये पाँचों पद अपने आराध्य या इष्ट होने के साथ हमेशा परम (श्रेष्ठ) भाव में स्थित रहते हैं, इसलिए इन्हें पंच परमेष्ठी भी कहा गया है। इस मंत्र के उच्चारण से पापों का नाश होता है। यह मंगलकारी है। नवकार मन्त्र मंगल रूप क्यों है ? 'मं' का अर्थ है-पाप, और 'गल' का अर्थ है- गलाना । जो पाप को गलावे, वह मंगल है। नवकार मंत्र से पाप का क्षय होता है, पाप रुकते हैं, इसलिए नवकार मंत्र मंगल रूप है। नवकार मंत्र में कितने पद और अक्षर हैं ? नवकार मंत्र में 5 पद व 35 अक्षर हैं। चूलिका को मिलाने पर कुल 9 पद और 68 अक्षर होते हैं । नवकार मंत्र में धर्मपद कौन सा है ? नवकार मंत्र में ‘णमो' शब्द धर्म पद है, क्योंकि 'णमो' विनय का प्रतिपादक है । विनय धर्म का मूल है। नवकार मंत्र किस भाषा में है ? नवकार मंत्र प्राकृत (अर्धमागधी प्राकृत) भाषा में है । अरिहन्त किसे कहते हैं ? जिन्होंने चार घाती कर्मों-ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय और अन्तराय का क्षय करके अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त चारित्र और अनन्त बल वीर्य नामक चार मूल गुणों को परिपूर्ण रूप से प्रकट कर लिया है, उन्हें अरिहन्त कहते हैं, इन्हें तीर्थंकर या जिन भी कहते हैं।
SR No.034357
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy