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________________ सहजता 'मैं संडास जाकर आया', कहता है। 'ओहोहो! कल क्यों नहीं गए थे?' तब कहे 'कल तो डॉक्टर को बुलाना पड़ा था, अटक गया था अंदर।' अहंकार की वजह से सक्रियता है। अहंकार की वजह से सबकुछ बिगड़ गया है। अगर, वह अहंकार चला जाए तो सब रेग्युलर हो जाएगा, उसके बाद साहजिक हो जाएगा। अहंकार सब बिगाड़ता है, खुद का ही बिगाड़ता है जबकि साहजिकता हो तो सब अच्छा रहता है। हमने आपको जो आज्ञाएँ दी हैं न, वे सहज ही बनाती हैं। वह सहज ही बनाने वाली हैं। सब काम सहज रूप से पूर्ण हो जाए ऐसा है उसका, चाहे कैसी भी परेशानी हो। देखो न, यह कैसी परेशानी आई है! कैन्सर हुआ है और फलाना हुआ है और परेशान होते रहते हैं, नहीं? अरे! हुआ है तो उसे हुआ है, उसमें मुझे क्या हुआ है ? हमने जाना कि पड़ोसी घबरा गए हैं। पड़ोसी के लिए कोई बहुत नहीं रोता, है न? अभी ये जो साथ वाले सेठ हैं, उन्हें यदि कुछ दुःख आ जाए तो क्या हम रोने लग जाएँगे? उनसे जाकर कहेंगे कि 'भाई, हम हैं न आपके साथ, आप घबराना मत। सहज दशा की लिमिट प्रश्नकर्ता : सहजता की लिमिट कितनी? दादाश्री : निरंतर सहजता ही रहती है। सहजता रहेगी लेकिन जितना आज्ञा पालन करोगे उतनी रहेगी। आज्ञा ही धर्म और आज्ञा ही तप है, इतनी ही मुख्य चीज़ है। हमने क्या कहा है कि अगर आज्ञा पालन करोगे तो हमेशा समाधि रहेगी। कोई गालियाँ दे या मारे, फिर भी समाधि नहीं जाएगी, ऐसी समाधि। सुबह-सुबह निश्चय ही करना है कि दादा, आपकी आज्ञा में ही रह सकूँ ऐसी शक्ति दीजिए। ऐसा निश्चय करने के बाद धीरे-धीरे बढ़ता जाएगा। प्रश्नकर्ता : ज्ञान लेने के बाद शुरुआत में जैसे-जैसे उस अनुसार
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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