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________________ [1.2] निर्दोष ग्राम्य जीवन 19 दूसरी तरफ बहू को भी बच्चा होता है। ज़माना बदल गया है न! बेडरूम, डबलबेड होते हैं न? प्रश्नकर्ता : हाँ, डबलबेड। दादाश्री : और उन दिनों कोई पुरुष एक ही बिस्तर पर अपनी पत्नी के साथ नहीं सोता था। उन दिनों तो एक कहावत थी कि जो पुरुष पूरी रात स्त्री के साथ सोता है, वह स्त्री जैसा बन जाता है। उस पर स्त्री पर्याय का असर हो जाता है इसलिए कोई ऐसा नहीं करता था। यह तो कौन जाने किसी अक्ल वाले ने खोज की, तो डबलबेड बिकते ही जा रहे हैं। हमारे समय में ज़माना बिल्कुल रस्टिक (ग्राम्य) था। कहलाता था रस्टिक लेकिन थे एकदम सुंदर। नौ-दस साल की उम्र तक कपड़े नहीं पहनते थे लेकिन यों सुंदर, यों चेहरा देखो तो बहुत ही सुंदर। जबकि आजकल बच्चे इतने सुंदर नहीं देखे हैं। आज के बच्चे सुंदर हैं ही कहाँ? उस समय गाँव की सभी लड़कियाँ बहन जैसी आज के बच्चों की अपेक्षा हमारे समय में कुदरती रूप से कौन सा गुण अच्छा था? तो वह यह कि 'अठारह साल की उम्र होने पर भी गाँव की लड़कियों पर दृष्टि नहीं बिगाड़ते थे', हम में वह गुण था। लड़कियों की तरफ दृष्टि ही नहीं डालते थे। लड़कियों के साथ खेलते ज़रूर थे लेकिन ऐसा कोई विचार नहीं, उसका क्या कारण था? दसग्यारह साल तक तो दिगंबर घूमते थे इसलिए भान ही नहीं था इस दिशा का। दिगंबर का मतलब समझे? प्रश्नकर्ता : हाँ, हाँ, समझ में आ गया। दादाश्री : तो फिर दूसरे लोग हम से कहते थे कि 'भाई गाँव की लड़कियाँ तो बहन समान हैं। बहन अर्थात् तो उस संबंध के बारे में
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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