SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्ञानी पुरुष ( भाग - 1 ) बहुत ज़्यादा समझ और आजकल के लड़के तो बहन को पत्नी बना देते हैं, देर ही नहीं लगती । हम चौदह-पंद्रह साल के हुए न, तब तक लड़कियों को देखने पर बहन कहते थे । फिर वह चाहे कोई भी हो, बहुत दूर की हो, फिर भी । भगवान जाने वह कैसा वातावरण था, चाहे जो भी हो। 20 धन्य है उस भद्र विचार वाली प्रजा को अब, उन दिनों कलियुग वाली दृष्टि खराब नहीं थी । खराब विचार ही नहीं थे किसी भी प्रकार के, कितना सुंदर ! विषय से संबंधित विचार ही नहीं किसी प्रकार का, भोले थे बेचारे, भद्र लोग । उस समय मैंने ऐसा कभी नहीं सुना कि भादरण गाँव की किसी लड़की के सामने किसी ने खराब दृष्टि डाली हो तो धन्य है न, उस प्रजा को ! प्रश्नकर्ता: दादा, हमारे छः गाँवों में शुरू से ही रिवाज है कि सब एक बाप की प्रजा हैं ? दादाश्री : हाँ, एक बाप की प्रजा । प्रश्नकर्ता : अपने गाँव में ऐसा था इसलिए जो कुछ भी खानदानियत रह गई है, वह उसी वजह से हैं । छः गाँव में ऐसा जो बचा है, उसका कारण वही है । दादाश्री : बिल्कुल भी, कोई किसी भी लड़की का नाम नहीं लेता था। प्रश्नकर्ता : क्योंकि शुरू से ही ऐसा रिवाज था कि हमें अपने गाँव में शादी नहीं करनी है क्योंकि एक ही बाप की प्रजा हैं इसलिए गाँव की लड़कियों पर दृष्टि नहीं बिगाड़नी चाहिए । दादाश्री : शादी करने की तो बात ही कहाँ, सोच भी नहीं सकते थे, दृष्टि ही नहीं डालते थे। सिर्फ बहन ही। प्रश्नकर्ता : बहन ही, वही विचार थे न, इतना पक्का विचार इसलिए उसका कोई असर ही नहीं होता था न !
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy