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________________ करने योग्य है तो सिर्फ तु ही है। तू ही भगवान है'। बा ऐसा मानती थीं लेकिन बाकी लोगों को यह कैसे समझ में आता? ___अंतिम दिनों में वे बा से भक्ति करवाते थे, सहजात्म स्वरूप का मंत्र बुलवाते थे। तब ऐसा हुआ कि एक बार रात को बारह-एक बजे बा मंत्र बोल रही होंगी कि अंबालाल भाई जाग गए। उन्होंने सुना कि 'हे भगवान, अब तू मुझे उठा ले। अब छूट जाऊँ तो अच्छा है'। तब वे समझ गए कि बा ने अब हस्ताक्षर कर दिए हैं। शरीर में जब पीड़ा होती है तब वह सहन नहीं होती इसलिए ऐसे हस्ताक्षर कर देते हैं। अतः अब दस पंद्रह दिनों में ये जाने वाले हैं। हस्ताक्षर करने के बाद ही मृत्यु आती है। अतः नियमराज हैं, इस जगत् में यमराज नहीं है! _[6] फादर उनके पिताश्री राजसी स्वभाव वाले थे। उनकी खुद की ज़मीन पर घोड़े रखते थे और साफा पहनते थे। खेतीबाड़ी की आमदनी से जीवन चलता था। यों ईज़ी लाइफ रखी थी। अंबालाल का जन्म हुआ उस समय जन्म कुंडली बनवाई थी तब ज्योतिषी ने उनके फादर और मदर से ऐसा कहा था कि 'आपका यह पुत्र ग़ज़ब का पुरुष बनेगा। इसकी कुंडली बहुत ही उच्च है'। तभी से फादर के मन में पुत्र अंबालाल के लिए एक बहुत बड़ी जगह बन गई थी। फादर ने अपने खेत में आम बोए थे। वे अंबालाल से कहते थे कि हमें सुबह कसरत करनी चाहिए, घूमने जाना चाहिए और साथ ही ऐसा भी कहते थे कि 'अपने खेत में आम उगाए हैं, उस रास्ते से थैली में मिट्टी ले जाकर वहाँ जाकर आम के पेड़ में डाल आना'। अंबालाल ने तो बात-बात में ऐसा कह दिया कि 'मुझे आम खाने का लालच नहीं है। जिसे आम खाने हों वह मिट्टी डाले'। कुछ समय बाद जब वह खेत बेचा तब आम के पेड़ भी बिक गए। तब उन्होंने फादर से कहा कि आम के पेड़ के साथ आम भी 37
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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