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________________ बिक गए न! डाली गई मिट्टी वगैरह सब बेकार गया न! उससे फादर ने ऐसा माना कि 'इसे पता होगा कि ऐसा होना है'। ___फादर बड़े भाई से कहते थे कि, 'इसे डाँटना मत, इसकी कुंडली बहुत उच्च प्रकार की है'। जब वे सात साल के थे तब उन्हें सबकुछ जानने और समझने की बहुत उत्सुकता थी। वे फादर से सब पूछते रहते थे। कान में कोई बात पड़ती तो पूछते रहते थे कि इसका क्या? इसका क्या? लेकिन फादर के मन में उनके प्रति बहुत उच्च भाव था कि यह महान पुरुष बनने वाला है इसलिए सब चला लेते थे, चिढ़ते नहीं थे। ___फादर के साथ हुई अपनी भूल को दादाश्री बता देते थे। ज्योतिषी ने फादर से कहा था कि आपके घर में बहुत बड़ा रत्न पैदा हुआ है, तो इसके संस्कार में कमी नहीं आने देना। जब भी भादरण गाँव में नाटक कंपनी आती तो अंबालाल को नाटक देखने जाना होता था तो वह फादर से छुपकर जाते थे। बा को सही बात बता देते थे। सब के सो जाने के बाद छुपकर नाटक देख आते थे। फादर से छुपाकर ऐसे गुनाह किए थे। बाद में इन सभी बातों के प्रतिक्रमण कर लिए। जब उनकी उम्र बीस साल की थी तब फादर का देहांत हुआ। उस समय वे फादर के पास ही थे। बड़े भाई बड़ौदा से आकर मिलकर एक दिन पहले ही निकल गए। जिसके कंधे पर चढ़कर जाना लिखा हो, उसी के कंधे पर चढ़कर जाते हैं। इस तरह फादर के साथ का ऋणानुबंध चुकाया। फादर की इतनी ही सेवा हुई और मदर की सेवा उनके जीवन के अंतिम आठ सालों में साथ रहकर हुई थी। [7] बड़े भाई उनके बड़े भाई बहुत प्रभावशाली थे। बहुत ही दर्शनीय राजवंशी पुरुष लगते थे! कपड़ों के शौकीन थे, कपड़वंज के पास उनकी दो सौ बीघा जमीन थी, वहाँ पर घोड़ी रखते थे। साफा पहनकर घोड़ी पर बैठकर घूमते थे! उस समय वे राजकुँवर जैसे लगते थे! उनकी 38
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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