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________________ [8.4] भाभी के उच्च प्राकृत गुण 277 ही मर्यादा धर्म ले लिया था न, मणि भाई की डेथ हुई तभी से। फिर कभी भी विचलित नहीं हुईं। पूरी जिंदगी संयम का पालन किया। ऐसे भयंकर कलियुग में, इस काल में कौन संयम का पालन कर सकता है? वह पुण्य ही कहा जाएगा न! इस काल में चरित्र! उन्होंने कभी भी पर पुरुष को नहीं देखा, न ही जाना। पूरी जिंदगी में कभी भी किसी पुरुष को नहीं छुआ। खराब विचार तक नहीं आया कभी भी। यह सब मुझे बहुत अच्छा लगा। मूलतः वे अहंकारी थीं, सुनती ही नहीं थीं न किसी की। ऐसे संयम का जब पालन करे, तब भगवान खुश होते हैं। क्या यों ही खुश हो जाते होंगे? प्रश्नकर्ता : नहीं होते। दादाश्री : इसलिए महाराज (सहजानंद स्वामी) खुश हो गए होंगे। ऐसा सब हो तभी खुश होते हैं न! प्रश्नकर्ता : दादा, मैं उनके पैर छूने गया था, तब ‘ज़रा दूर रहना, दूर रहना' ऐसा कहा था। दादाश्री : हाँ, उन्होंने किसी भी पुरुष को नहीं छुआ था, और यदि उन्हें आपका हाथ छू जाता न, तब उन्हें नहाने जाना पड़ता था। प्रश्नकर्ता : ऐसा? दादाश्री : ऐसा नियम लिया था। हिन्दुस्तान में अभी भी कई ऐसी स्त्रियाँ होंगी लेकिन मैंने अगर देखा हो तो सिर्फ इनको अकेले को ही। मेरा अनुभव किया हुआ। प्रश्नकर्ता : स्त्रियों में ऐसा जीवन बहुत कम देखने को मिलता है। दादाश्री : अब इस कलियुग में होगा ही कहाँ से? सतयुग में भी शायद ही कोई, दो-पाँच सतियाँ होती हैं। गर्व बहुत था उन पर, इसलिए वश में रहा उनके बाकी गुण बहुत उत्तम थे। यह स्त्री, किसी भी पुरुष के
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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