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________________ [8.3] व्यवहार लक्ष्मी का, भाभी के साथ कर्म की उलझनें, इसलिए नहीं संभाल पाते थे भाभी को प्रश्नकर्ता : ज्ञान के बाद कैसा रहता था भाभी के साथ? दादाश्री : जिंदगी भर हमारी भाभी को नहीं संभाल सका, इन सब को संभाल सकता हूँ। प्रश्नकर्ता : दादा, वह किसलिए? ऐसा क्यों? दादाश्री : कर्म की उलझनें। प्रश्नकर्ता : चाहे कितना भी खुश करने जाओ फिर भी वे खुश नहीं होती। दादाश्री : कुछ भी दे दो, फिर भी खुश नहीं होती हैं न! प्रश्नकर्ता : हं। दादाश्री : तो मुझे ऐसी दुनिया मिली। भाभी मिलीं लेकिन वे खुश हो ही नहीं सकतीं, चाहे कितने भी प्रयत्न करें, फिर भी। चाहे उन्हें कुछ भी देना चाहो फिर भी राजी नहीं होतीं और नहीं देना चाहो तब भी.... प्रश्नकर्ता : अब उसके पीछे क्या कारण होगा, दादा? राज़ी ही नहीं होती हैं, तो उसका क्या कारण है? दादाश्री : लोभ था ऐसा। प्रश्नकर्ता : संतोष ही नहीं होता, कम ही लगता है। दादाश्री : हाँ।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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