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________________ [8.3] व्यवहार लक्ष्मी का, भाभी के साथ 265 हकदार नहीं थे फिर भी जो माँगा वह दिया भाभी को प्रश्नकर्ता : देवर थे न आप, दादा। दादाश्री : देवर के तौर पर सभी कुछ दे दिया मैंने। हमारी भाभी आई थीं तो उनसे कह दिया था कि 'आपको जो चाहिए वह, जितना माँगोगे उतना दूंगा'। यह ज़मीन उनके नाम की है, हर एक चीज़ उन्हें दे दी थी। यानी यह पूरा गाँव जानता है, इसलिए कोई मुझ पर उँगली नहीं उठा सकता न! वर्ना दम निकाल देते, यदि दिवाली बा का लेता तो। तब तो लोगों को लेकर आ जातीं बीच में कि 'इन भाभी का ज़रा देखो तो सही!' उनका कुछ भी नहीं रखा, सबकुछ दे दिया। सबकुछ उनके पास ही है। महीने का तीन सौ रुपए तो ब्याज आता है। सब का ब्याज मिले ऐसा कर दिया था। वे हकदार नहीं थीं, लेकिन उनके मन का कुछ समाधान तो होना चाहिए, 'मेरे देवर इतने बड़े भगवान हैं न!' भाभी का केस निपटा दिया सब देकर। वास्तव में पूरा घर उन्हें दे दिया। मैंने हाइ क्लास मकान बनवा दिया, आर.सी.सी का। अब क्या है उन्हें? सिर्फ अकेले ही रह रही हैं। भादरण का वह घर उन्हें सौंप दिया है। मैंने कहा, 'काम में लेना आप'। क्योंकि उपकार है न! उन्हें अकेले को सौंप दिया था। भाभी का क्लेम नहीं रखा बाकी प्रश्नकर्ता : दादा, आपने तो ऐसा कहा था कि, 'मैं किसी का भी क्लेम बाकी नहीं रखता'। दादाश्री : हाँ, नो क्लेम। कह देते हैं सभी से कि, 'भाई, मेरा किसी भी तरह का क्लेम नहीं है'। ऐसा साफ कह देते हैं हम। क्लेम तो शुरू से ही नहीं रखा था उनके साथ का। उनसे कोई पूछे कि आपका दादा पर किसी भी तरह का क्लेम है ? तो वे कहेंगी, 'नहीं। वास्तव में मेरा तो कोई क्लेम नहीं है'। नो क्लेम ऐसा कर दिया था। प्रश्नकर्ता : हाँ, वास्तव में 'कोई क्लेम नहीं था' ऐसा कहती थीं और फिर भी यदि क्लेम नहीं है ऐसा यदि हो...
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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