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________________ [5.2] पूर्व जन्म के संस्कार हुए जागृत, माता के 157 बा का महान उपकार, परदेश नहीं जाने दिया प्रश्नकर्ता : बा की अन्य कोई बातें हों तो बताइए न, दादा? दादाश्री : आई.वी.पटेल मुझे आफ्रिका ले जाना चाहते थे। मुझे वहाँ की किसी कंपनी में लगाना चाहते थे लेकिन मुझे ऐसा लगा कि मुझे वहाँ पर नौकरी करनी पड़ेगी और वहाँ पर फिर मुझे झिड़केंगे। मेरी मदर को भी ऐसा था कि परदेश नहीं भेजना था। प्रश्नकर्ता : कितनी उम्र थी तब आपकी? दादाश्री : अठारह साल का था तब से भेज रहे थे, आफ्रिका जाने कि लिए... प्रश्नकर्ता : मूलजी भाई भेज रहे थे? दादाश्री : मूलजी भाई के मामा के बेटे लगते हैं आई.वी.पटेल। आई.वी.पटेल ने कहा, 'मैं ले जाऊँ अंबालाल को?' वह तो फिर बा ने नहीं जाने दिया, बा ने कहा 'मुझे परदेश नहीं भेजना है, मेरे पास ही अच्छा है'। मुझे तो ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए था। ऑल रेडी कॉन्ट्रैक्ट का यह सारा काम चल रहा है। बाकी, घर पर तरसाली में (पाँच-सात बीघा जमीन) थी, ज़रा उसकी आमदनी थी और यहाँ (दस बीघा भादरण की ज़मीन) की आमदनी थी। प्रश्नकर्ता : बा ने तो पूरी दुनिया पर बहुत बड़ा उपकार किया! दादाश्री : बा तो मुझे कहीं जाने ही नहीं देती थीं। मेरे बिना बा को अच्छा नहीं लगता था। वहाँ चले गए होते तो बहुत हुआ तो अमीर बन गए होते तो अमीर बनकर फिर लोगों की गुलामी करो। छोड़ो न, यह क्या भूत? भगवान को खोजने की इच्छा थी बचपन से ही। उस गोल (ध्येय) के स्टेशन तक पहँच गए। यह पूरी दुनिया जिसे खोज रही है, हम उस जगह पर पहुँच गए हैं इसलिए शांति हो गई, काम पूरा हो गया। 'मेरे लिए तो तू आ गया, तो बस' जब हमारी बा की बहुत उम्र हो गई थी न, तब बा छिहत्तर साल
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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