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________________ [5.2] पूर्व जन्म के संस्कार हुए जागृत, माता के 129 प्रश्नकर्ता : जब आप किसी को मारकर आते थे, तब बा आपको मारते थे क्या? दादाश्री : समझाते थे। उसके बाद उन्होंने मुझसे कहा कि 'भाई यह क्या किया? देख, उसे खून निकला। यह तूने क्या किया?' मैंने कहा, 'मारता नहीं तो और क्या करता?' तब उन्होंने कहा, 'वह तो उसकी चाची के पास रहता है, उसकी माँ भी नहीं है तो उसे कौन पट्टी वगैरह बाँधेगा और कितना रो रहा होगा बेचारा और कितना दुःख हो रहा होगा! अब कौन उसकी सेवा करेगा? और मैं तो तेरी मदर हूँ, तेरी सेवा करूँगी। अब से तू मार खाकर आना लेकिन किसी को पत्थर मारकर और खून बहाकर मत आना। तू पत्थर खाकर आना तो मैं तुझे ठीक कर दूंगी लेकिन उसे कौन ठीक करेगा बेचारे को'। ऐसी मदर बनाएँ महावीर प्रश्नकर्ता : अभी तो सब उल्टा ही है। बल्कि ऐसा कहते हैं कि 'देख लेना! अगर मार खाकर आया तो!' दादाश्री : हमेशा से ही उल्टा, आज से नहीं। अभी इस काल की वजह से यह नहीं हुआ है, वह हमेशा से उल्टा ही था। ऐसा ही है यह जगत् ! इसलिए लोग तो ऐसा सिखाते हैं कि 'अगली बार लकड़ी लेकर जाना'। सब दुःखी करने के तरीके! ये माँ जी तो मुझे अच्छा सिखाती थीं, सबकुछ अच्छा सिखाती थीं। मुझे बहुत अच्छा लगता था। बोलो! अब ऐसी माँ महावीर बनाएगी या नहीं? मेरी माँ जी थीं ही ऐसी! बचपन में यह बात हुई थी फिर बड़े होने पर समझदारी बढ़ी तो और ज़्यादा समझ में आया। बाकी, यदि ऐसा सिखाए तो पहले तो अच्छा ही नहीं लगेगा न? लेकिन मुझे अच्छा लगा था। मैंने कहा, 'बा जो कह रही हैं, वह बात सही है। उस बेचारे की मदर नहीं है। इसलिए फिर समझ गया तुरंत ही, और तभी से मारना बंद हो गया। क्षत्रिय तो होते हैं समझदार माँ के पागल बेटे यो संसारी कहावत है कि क्षत्रिय यानी समझदार माँ के पागल बेटे
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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