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________________ १०२ आप्तवाणी-१४ (भाग-१) दादाश्री : क्रोध-मान-माया-लोभ माँ-बाप हैं और ये सब उनके बच्चे हैं, बाद में फिर उनकी वंशावली मन-बुद्धि-चित्त और अहंकार पैदा होते हैं। गाढ़ विभाव, अव्यवहार राशि में प्रश्नकर्ता : यह जो इवोल्यूशन थ्योरी कहते हैं, जीव आगे ही आगे बढ़ता जाता है, उत्क्रांति होने पर मनुष्य में आया, देवगति में जाएगा, ऐसा जो सब होगा वह विभाव की वजह से ही है न? दादाश्री : विभाव की वजह से ही है यह। यह सब जो है वह विभाव ही है। प्रश्नकर्ता : तो क्या फर्स्ट रोंग बिलीफ एकेन्द्रिय में उत्पन्न हुई ? दादाश्री : नहीं, एकेन्द्रिय में नहीं, उससे पहले वे सारे अव्यवहार राशि वाले जीव हैं। जम चुके हैं, अभी तक नाम भी नहीं पड़ा है, व्यवहार में नहीं आया है। प्रश्नकर्ता : लेकिन फिर भी विभाव तो है न उसे? दादाश्री : बहुत गाढ़, भारी विभाव है। अव्यवहार राशि में जो सारे कर्म हैं न, उन्हें फिर व्यवहार में भुगतता है। प्रश्नकर्ता : द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव से कर्म उद्भवित होते रहते हैं, तो फिर अहंकार कब उत्पन्न होता है? दादाश्री : मूल अहम् तो शुरुआत से ही हो गया है न! शुरुआत से, अनादि काल से। (मूल प्रथम) विशेष भाव उत्पन्न होता है तभी से है। मूल विशेष भाव में से अहम् उत्पन्न होता है और उस अहम् में से जो दूसरा विशेष भाव उत्पन्न होता है, वह अहंकार है। फिर उस अहंकार का नाश होता है। उसके बाद (दूसरा) विशेष भाव उत्पन्न होता है और अहंकार उत्पन्न होता है। अहंकार के पीछे विशेष भाव और विशेष भाव के पीछे अहंकार। (केवलज्ञान होने तक हमेशा ही अहम् रहता है। अहंकार जन्म लेता है और मरता है।)
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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