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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जबकि भारत स्वतंत्र हो चुका है फिर भी भारत में पशुवध हो रहा है, यह भारतीय जनता पर बड़ा धब्बा है, यह तभी मिट सकता है जब भारत में सर्वथा पशुवध बंद हो और अहिंसा की भागीरथी संसार में बहा दें, जिससे भारत सदा मुखी बना रहे ! प्रत्येक मानव को चाहिये कि महापुरुषों के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर के उसी प्रकार के ढांचे में अपने जीवन को डालने की कोशिश करे जिससे मानव जीवन की सार्थकता के साथ अपनी कीर्ति भी संसार में चिरस्थायी बन सके। प्रस्तुत पुस्तक का यह पांचवां संस्करण साध्वीजी श्री पुष्यश्रीजी की शिष्या विदुपी साध्वीजी श्री उद्योतश्रीजी की प्रेरणा से प्रकाशित हो रहा है जो कि उनके तथा उनकी शिष्या साध्वी बालचंद्राश्रीजी के वर्षीतप की स्मृति में निम्नलिखित महानुभात्रों की द्रव्य सहायता से भेंट देने का तय किया है। ५५१) एक बहन की तरफ से (गुप्त) १०१) श्री पुखराजजी चिमनीरामजी सादड़ी १०१) श्री छोगमलजी पूनमचंदजी की धर्मपत्नी चौथी बहन, सेदरिया ५१) श्री केसरीमलजी पूनमचंदजी सभी दानदाताओं को हार्दिक धन्यवाद ! प्रस्तुत पुस्तक में प्रेस दोष सम्बन्धी अथवा कोई प्रसंग पूर्वापर विरुद्ध मालूम होता हो तो कृपया सूचित करने का कष्ट करें जिससे आगामी संस्करण में परिवर्तन किया जा सके। किम्बहुना सुज्ञेषु ! जयहीर !! -मुमुक्षु भव्यानन्द विजय, "व्या० साहित्यरत्न" For Private and Personal Use Only
SR No.034238
Book TitleJagad Guru Hir Nibandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyanandvijay
PublisherHit Satka Gyan Mandir
Publication Year1963
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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