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________________ 143 माहारीक शरीर वर्गण छेडदेना कारण एक जीव अधिकसे अधिक आहारीक शरीर करे तो च्यारसे ज्यादा न करे, वास्ते सर्व लोकका द्रव्य ग्रहनका अभाव है। शेष 7 वर्गणासे अनुक्रमे एकेक जीव सर्व लोकका द्रव्यको अनन्ती अनन्ती वार ग्रहण कर छोडा है अर्थात् औदारीक शरीर वर्गणासे सर्व लोकका द्रव्य अनन्तीवार ग्रहन कर छोड़ा एवं वैक्रय तेजस० कार्मण० श्वासोश्वास० भाषा० ओर मनवर्गणासे सर्व लोकका द्रव्यको अनन्तीवार ग्रहन कर छोडा इन्हीको द्रव्यापेक्षा बादर पुद्गलपरावर्तन केहते है ।इसमें अनन्तों काल लगता है (2) द्रव्यापेदा सूक्ष्म पुद्गलपरावर्तन-पूर्वोक्त बतलाइ हुइ सात वर्गणासे प्रथम जीव औदारीक वर्गणासे लोकका द्रव्य ग्रहन करना प्रारंभ कीया है वह क्रमःसर सर्व लोकका द्रव्य केवल औदारीक वर्गणासे ही ग्रहन करे अगर वीचमें वैक्रयादि छ वर्गणासे द्रव्य ग्रहन करे वह गीनतीमें नहीं जैसे औदारीक शरीरका भाव कर तो वीचमें वैक्रय शरीरका भव करे यहांपर आचार्यों महाराजका दो मत्त है एक केहते है कि औदारीक वर्गणासे द्रव्य ले तो वीचमें वैक्रयादि वर्गणासे द्रव्य लेवे वह मीनतीमें नहीं किन्तु औदारीक गीनतीमें है इसरोंका मत्त है कि औदारीक वर्गणासे द्रव्य ले तो वीचमें . वैक्रयादि वर्गणासे द्रव्य लेवे तो औदारीकसे और
SR No.034233
Book TitleShighra Bodh Part 11 To 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1933
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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