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________________ १६६ बारहवे गु० तक ज० संख्याते सेंकडो उ० सं० सेंकडो । तेरहवे न० गु० प्रत्येक कोड | चौदहवे गु० ज० उ० प्रत्येक सो जीव मीले । इति द्वारम् | (४५) क्षेत्र प्रमाण द्वार - एक जीवापेक्षा पहले से चोथे गुणस्थान तक ज० अंगुलके असंख्यातमे भाग उ० हजार योजन साधिक क्षेत्रमें होवे । पांचवे गु० ज० प्रत्येक हाथ उ० हजार योजन | छटे गु० से बारहवे गु० ज० प्रत्येक हाथ उ० पाँचसेा धनुष्य, तेरहवे गु० ज० प्र० हाथ उ० सर्व लोकमें चौदहवे गु० ज०म० हाथ उ० पांचसो धनुष्य । बहुत जीवोंकि अपेक्षा पहले गु० न० उ० सर्व लोकमें, दूसरे गु० से बारहवे गु० तक ज० लौक के असंख्यातमें भाग उ० लौकके असंख्यातमे भाग.. . तेरहवे ज० लौक० असं० भाग० उ० सर्व लोकमें। चौदहवे गु० ज० लोक ० असं ० ० भाग, उ० लोकके असंख्यातमे भाग इति । (४६) निरन्तर द्वार - जघन्यापेक्षा पहले गु० सर्वदा यानि सर्व कालमें पहले गुणस्थानमें जीव निरन्तर आया करते है दूसरे से चौद वे गुणस्थान तक दो समय तक निरन्तर आवे | उत्कृष्टापेक्षा - पहले गुरु सर्व काल तक निरन्तर आवे. दूसरे तीसरे चोथे गु· पल्योपमके असंख्यात भागके काल जीतनी बखत आवे | पांचवे गु० आवलिकाके असं० भाग० छटे सातवे मु० • आठ समय तक निरान्तर आवे । आठवे से इग्यारवे गु० तक संख्यात समय तक, बारहवा आठ समय तक, तेरहवा सर्वदा. चौदहा आठ समय तक जीवों को निरन्तर आया करता है इति । (४७) स्थितिद्वार - जघन्य स्थिति अपेक्षा पहले तीसरे गु० अन्तर महुर्त दूसरे से इग्यारवे तक एक समय. बारहवे. तेरहवे. चौदहवे. कि अन्तर महुर्त कि जघन्य स्थिति है.
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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