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________________ १६८ नौमें गु० घाला ८-१०-४ गु० में जावे । दशम गु० वाला ९-१११२-४ गु० में जावे इग्यारमें गुरुवाळा ४-१० गु० में जावे बारमें गु० वाला तेरमें गु० जावे तेरवे वाला चौदवें गु० जावे। और चौदवे गु० वाला मोक्ष जावे। (४१) जीवयोनिद्वार-योनी ८४ लक्ष है। पहिले गुरु में ८४ लक्ष, दूसरे गु० में ३२ लक्ष, तीजे गु० मे २६ लक्ष, चौथे गुरू में २६ लक्ष, पांचमें गु० में १८ लक्ष, छठे गु० में १४ लक्ष, सातमें गुरु से यावत् चौदमें गु० तक १४ लक्ष । (४२) दंडकद्वार-पहिले गु० में २४ दंडक दूजेमे १९ दंडक (पाच स्थावर वर्जके) तीजे गुरु में १६ दंडक ( तोनविकले. न्द्रिय धर्जके ) एवं चौथे गु० में १६ दं० पांच में गु० में दो दं० और छठेसे चोदमे गु० तक एक दंडक । (४३) नियमा भजनाद्वार १-४-२-६-७-१३ गु० में नि. यमा जीव मिले शेष आठ गु० में भजना। (४४) द्रव्य परिमाण द्वार-वर्तमानापेक्षा पहले मुण स्थानसे चौदहवा गुणस्थान तक जघन्य एकेक जीव मीले और उत्कृष्ट पहले गु० असंख्याते जीव वह पल्योपम के असंख्यातमे भागके समय जीतना यहां गुणस्थान स्वीकारापेक्षा है एवं पांचवे गु० तक छठे सातवे प्रत्येक हजार आठवे नौवे दशवे गु० तक एकसो बासठ इग्यारवे चौपन बारहवे तेरहवे चौदहवे गु० एकसो आठ जीव मीले। पूर्व प्रतिपन्नापेक्षा प्रथम गु० जघन्य और उत्कष्ट अनन्ते जीव मीले। दूसरे तीसरे गु० ज० एक जीव उ०पल्योपमके असंख्यात समय जीतने जीव मीले । चोथे गु० ज पल्यो। असं. भाग० उत्कृष्ट-जघन्यसे असंख्यात गुणे एवं पंचवे गु० छटे सातवे गु० ज. प्रत्येक हजार क्रोड उ०प्र० हजार क्रोड। आठवे से
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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