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________________ १७१ उत्कृष्टापेक्षा पहले गु० अभव्यापेक्षा, अनादि अन्त, भव्यापेक्षा अनादि सान्त प्रतिपाति यानि सम्बत्वसे पडा हुवा कि देशोना आधा पुद्गल, दूसरे गु० छे अवलिका. तीसरे गु० अन्तर महुर्त चोथा गु० छासट सागरोपम साधिक. पांचवे छटे गु० देशोन कोड पूर्व. सातवा से बारहवे तक अन्तर महुर्त. तेरहवे गुरु देशोना कोड पूर्व चौदहवे गु० पंच हस्वाक्षर उच्चारण जीतनो अन्तर महुर्त कि स्थिति इति । (४८) अन्तर द्वार-एक जीवापेक्षा पहले गु० ज० अन्तर महुर्त उ. छासट सागरोपम साधिक, दूसरे गु० जघन्य पल्योपमके असंख्यातमे भाग, तीसरे गु० से इंग्यारवे गु० तक अन्तर महुर्त उ० दूसरे से इग्यारवे तक देशोना अर्द्ध पुद्गल काल बारहवे तेरहवे चौदहवे गु० अन्तर नहीं है। घणा जीवोंकि अपेक्षा-पहले गु० अन्तर नही दूसरे से इग्यारवे गुणस्थानमे ज. एक समय उत्कृष्ट दूसरे गु० आवलिकाके असं० भाग. तीसरे गु. पल्योएम के असंख्यातमे भाग, चोथे गु. सात दिन, पांचवे गु. चौदह दिन, छटे गु० पन्नरादिन. सातवे आठवे नौवे भु० छ मास दशवे गु. प्रत्येक वर्ष. इग्यारवे छे मास. बारहवे तेरहवे चौदवे आन्तर नहीं है इति । (४६) आगरीस द्वार-एक जीवापेक्षा जघन्य आधे तो पहले से चौदहवा गु० एकवार आवे उत्कृष्ट आवे तो पहलो गु० प्रत्येक हजार वार. दूसरो गुदो धार. तीजो चोथो प्रत्येक हजार चार. पांचवो छट्टो सातवों गु० प्रत्येक सो वार आवे. आठवो नौवो दशवो चार वार आवे । इग्यारवो गु. दों वार आवे, बारहवा तेरहवा चौदवा गु० एक वार आवे । बहुत जीवों कि अपेक्षा-पहलेसे इग्यारवे तक ज. दो वार आवे. बारहवा तेरहवा चौदहवा एक वार आवे । उत्कृष्ट पहला गु० असं.
SR No.034232
Book TitleShighra Bodh Part 06 To 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherVeer Mandal
Publication Year1925
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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