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________________ जीवतत्त्व. (९७) (१) निसर्गरुची-जातिस्मरणादि ज्ञानसे दर्शनरुची। (२) उपदेशरुची-गुरवादिके उपदेशसे , (३) आज्ञारुची-वीतरागदेवकी आज्ञासे , (४) सूत्ररुची-सूत्र सिद्धान्त श्रवण करनेसे , (५) बीजरुची-बीजको माफिक एक से अनेक ज्ञान, दर्शनरुची। (६) अभिगमरुची-द्वादशांगी जानने से विशेष (७) विस्ताररुची-धर्मास्ति आदि पदार्थ से (८) क्रियारुची-वीतरागके बताइ हुइ क्रिया करनेसे , (९) धर्मरुची-वस्तुस्वभावके ओलखनेसे (१०) संक्षेपरची-अन्य मत ग्रहन न किये हुवे भद्रिक जीवोंको, दुसरा वीतराग दर्शनार्य के दो भेद है. (१) उपशान्त कषाय, (२) क्षीण कषाय. इत्यादि संयोगी अयोगी केवली तक कहना। (९) चारित्रार्यके पांच भेद है. सामायिक चारित्र, छेदो. पस्यापनीय चारित्र, परिहार विशुद्ध चारित्र, सूक्ष्मसंपराय चारित्र, यथाख्यात चारित्र इति. आर्य मनुष्य इति मनुष्य । (४) देव पांचेन्द्रियके च्यार भेद यथा-भुवनपति, वाणव्यंतर ज्योतिषी. वैमानिक । जिम्मे भुवनपतियोंके दश भेद है। असुरकुमार, नागकुमार, सुवर्णकुमार, विद्युत्कुमार अग्निकुमार दिपकुमार. दिशाकुमार, उदधिकुमार, पवनकुमार, स्तनित्कु. मार । पंदरा परमाधामियों ( असुरकुमारकी जातिमें ) के नाम. अम्ब्रे आम्ररसे शामे सबले ऋद्धे विरूद्धे काले महाकाले असीपत्ते धणु कम्भे वालु वैतरणि खरखरे महाघोषे । शोलहा बाणव्यंतरीके नाम. पिशाच भूत यक्ष राक्षस किन्नर किंपुरुष मोहरग गन्धर्व आणपुन्ये पाण पुन्ये ऋषिभाइ भूतिभाइ
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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