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________________ नवतत्त्व. (९५) कहते है. यहांपर भरतक्षेत्रके मनुष्योंका विशेष वर्णन करते है. मनुष्य दो प्रकारके है (१ ) आर्य मनुष्य, (२) अनार्य मनुष्य. जिस्में अनार्य मनुष्योंके अनेक भेद है. जेसे शकदेशके मनुष्य, बबरदेशके, पवनदेशके, संबरदेशके, चिलतदेशके, पीकदेशके, पावालदेशके, गीरंददेशके, पुलाकदेशके, पारसदेशके इत्यादि जिन मनुष्योंकी भाषा अनार्य व्यवहार अनार्य, आचार अनार्य, खानपान अनार्य, कर्म अनार्य है इस वास्ते उनोंको अनार्य कहा जाते हैं उनोंके ३१९७४॥ देश है। आर्य मनुष्योंके दो भेद है (१) ऋद्धिमन्ता, (२) अनभृद्धिमन्ता. जिसमें ऋद्धिमन्ते आर्य मनुष्यों के छे भेद है. तीर्थकर, चक्रवर्ति, बलदेव, वासुदेव, विद्याधर और चारणमुनि । ___अनऋद्धिमन्ता मनुष्यों के नौ भेद है. क्षेत्राय, जातिआर्य, कुलआर्य, कार्य, शिल्पार्य, भाषार्थ, ज्ञानार्य, दर्शनाय, चारिचार्य. जिस्म क्षेत्र आर्यके साढापचवील क्षेत्रआर्थ माने जाते है. उनके नाम इस माफिक है. मागधदेश राजगृहनगर, अंगदेश चम्पानगरी, बंगदेश तामलीपुरी, कोलंगदेश कंचनपुर, काशी. देश बनारसी, कोशल देश संकेतपुर, कुरुदेश गजपुर, कुशावर्त सोरीपुर, पंचालदेश कपिलपुर. जंगलदेश ( मारवाड) अहिछता, सोरठदेश द्वारामति, विदेहदेश मिथिला, वच्छदेश कोसुंबी, सडिलदेश नंदिपुर. मलीयादेश भद्दलपुर, वत्सदेश वैराटपुर, वरणदेश अच्छापुर दशार्गदेश मृतकावती, चेदीदेश शक्तावती, सिन्दुदेश वीनवयपट्टण, सूरशैनदेश मथुरा, भङ्गदेश पावापुरी, पुरिवर्तदेश सुममापुर, कुनाला सावत्थी, लाढदेश कोटीवर्ष, कैका नामका अईदेश प्रवेताम्बिकानगरी इति। इन आर्यदेशोंका लक्षण जहा कर, चक्रवत्ति, वासुदेव, बलदेव, प्रतिवासुदेव आदिक जमाने ह तीर्थंकरोंके पंचकल्याञ्चक होते हैं,
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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