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________________ (१६) शीघ्रबोध भाग १ लो. ( ५ ) पांचमहाव्रत निर्मला पालने से जीवके श्री गौतमस्वामिजtकि माफीक ( श्री भगवतीजी सूत्र ) ( ६ ) प्रमाद त्याग अप्रामादि होनेसे जीवोंके " श्री शैलराजऋषिकी माफीक ( श्री ज्ञातासूत्र ) परम ० ( ७ ) पांचों इन्द्रियोंका दमन करनेसे जीवोंके श्री हरकेशी मुनिराज कि माफीक ( श्री उत्तराध्यायनजी सूत्र ) (८) अपने मित्रोंके साथ मायावृति न करने से जीवोंके "परम” मल्लिनाथजी के पूर्वभवके छे मित्रोंकि माफीक (ज्ञातासूत्र ) (९) धर्म चर्चा करनेसे जोवोंका परम० " जैसे केशीस्वामी गौतमस्वामीकी माफीक ( श्री उत्तराध्ययनजी सूत्र ) (१०) सच्चा धर्मपर श्रद्धा रखनेसे जीवोंका " वर्णनागनत्वाके बालमित्रकी माफीक ( श्री भगवती सूत्र ) परम० ( ११ ) जगत् के जीवोंपर करुणाभाव रखनेसे जीवोंके "परम० " मेघकुमार के पूर्व हाथीके भवकी माफीक (श्री ज्ञातासूत्र ) ( १२ ) सत्य बात निःशंकपणे करनेसे जीवोंका ' 'परम आनन्द श्रावक और गौतमस्वामीके माफीक ( उपासक दशांग सूत्र० ) , " परम ० ". परम० 13 19 7% (१३) आपत्त समय नियम- व्रतमें मजबूति रखने से 'परम० ' अम्बडपरिव्राज्य के सातसे शिष्योंकि माफीक ( श्री उबवाइजी सूत्र ० ) परम० ( १४ ) सच्चे मन शील पालने से जीवों का 'परम० ' सुदर्शन शेठकी माफीक (सुदर्शन चरित्र ) (१५) परिग्रहकी ममत्वका त्याग करने से जीवका 'परम० ' कपील ब्राह्मणकि माफोक ( श्री उत्तराध्ययनजी सूत्र ) (१६) उदार भाव से सुपात्र दान देने से जीवोंका ' itra गाथापतिfक माफक ( श्री बीपाक सूत्र ) >
SR No.034231
Book TitleShighra Bodh Part 01 To 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukhsagar Gyan Pracharak Sabha
Publication Year1924
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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