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________________ द्वितीयो रागविवेकाध्यायः ९७ गापन्यासा दीर्घरिमा धमन्द्रोद्दीपने भवेत् ॥ ११६॥ धा गा गा धध निगां ध गांगागमसा मा मा मात्र मा धामागा मागा स स री गा मा पम गरि सनी री मरी गासनी सा सा । ध स धा नी नी धाध मा धा धा धधनी मा धा नी गा । गा गागममा सस मा सा सा सा पमा धा माम गा गा स स री गा माप म गरी सनी रि गारी सनी सा सा । स धानी नीधा धा धमा धा धाइत्यालापः । २] धम गमम ध धधा मा मा गामा (षड्ज) सस धा धा धानि सनी साममध मधा । धा धा धनी नी गा धमास स री री गगम मपप ममपपरी री स स री री गग री री (षड्ज) ससनी नी सनि सासाधमगम धगम सनी धा धा धा नी सानी साम मध मधा धा- - इति रूपकम् । इति बाङ्गाली । आडकामोदिका आडिकामोदिका तज्जा ग्रहांशन्यासधैवता | ममन्द्रा तारगान्धारा गुर्वाज्ञायां समखरा ॥ ११७ ॥ इत्याsकामोदिका । गरी कभाषा वेगरञ्जी निमन्द्रा धपवर्जिता । मध्यमबहुला । बाङ्गार्ली लक्षयति - धन्यासेति । गान्धारापन्यासा । दीर्घऋषभमध्यमा ॥ ११५-११६ ॥ (सं०) आडिकामोदिकां लक्षयति- आडिकामोदिकेति । वेगरञ्ज 13 Scanned by Gitarth Ganga Research Institute
SR No.034228
Book TitleSangit Ratnakar Part 02 Kalanidhi Sudhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarangdev, Kalinatha, Simhabhupala
PublisherAdyar Library
Publication Year1959
Total Pages454
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size201 MB
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