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________________ ( १७६) वसंतराजशाकुने-सप्तमो वर्गः। प्रदक्षिणं तोरणभूमिकासां निवृत्तिकाले प्रतिलोमगं वा ॥ तिरोभवेत्पांडविकायुगं चेत्तयुद्धकामस्य पराजयः स्यात् ॥ ॥ २३९ ॥ समीपयुद्धे कृतवामशब्दा श्यामानुलोमा च पराजयाय ॥ अवामशब्दा यदि याति वामं भवेत्तदा भूमिभुजो जयश्रीः ॥२४० ॥ सद्यो रणे वामरवेण भंगो जयो भवेदक्षिणवासितेन ॥ कृते ध्वनौ तोरणनामधेये युग्मेस्य शब्दाच जयोऽजयो वा ॥२४१॥ वामेन गत्वा यदि याति तारा युद्धोद्यमे हंति तदा युयुत्सुम् ॥ भूत्वापि तारा प्रतिलोमगा चेत्तदा जयश्रीर्वसुधाधिपस्य ॥ २४२॥ ॥टीका ॥ ति तदा नृपस्य सशस्त्रघातो विजयो भवेत् ॥ २३८ ॥ प्रदक्षिणमिति ॥ यदि तोरणभूमिकायां प्रदक्षिणं भवेत् निवृत्तिकाले प्रतिलोमगं भवेत् । कीदृशं अंतर्हित मिति अनुलोमप्रतिलोमो भूत्वा क्वापि लीयते तदा योद्धुकामस्य पराजयः स्यात्।। ॥ २३९ ॥ समीपयुद्ध इति ॥ आसन्ने युद्धे कृतवामशब्द अनुलोमापि श्यामा पराजयाय स्यात् यदि अवामशब्दा वामं याति तदा भूमिभुजोजय श्रीभक्त२४०॥ ॥ सद्य इति ॥ सद्योरणे वामरवेणभंगोभवेत् । दक्षिणवासितेन जयोभवेत् । तोरणनामधेये कृतध्वनौ युग्मे सति अस्य शब्दाजयोजयो वा भवेत् ॥ २४१ ॥ वामेनेति ॥ युद्धोद्यमे वामेन गत्वा यदि तारा याति तदा युयुत्सु हति । भूत्वापि ॥ भाषा॥ होय तो राजाकू शस्त्रघात सहित विजय होय ॥ २३८ ॥ प्रदक्षिणमिति ॥ तोरणकी एथ्वीमें पोदकी प्रदक्षिणा होय और वगदती समय प्रतिलोमगा होय अनुलोम प्रतिलोम होय करके कहूं लीन होय जाय तो युद्धकी कामना जाकू होय ताको पराजय होय ॥ २३९ ।। ॥समीपयुद्ध इति ।। राजाके युद्धनिकटमें होनहार होय जो पोदकी शब्द बांयों कर और • अनुलोमा होय तो पराजयके अर्थ जाननी जो दक्षिणमांऊं शब्दकरै वामभागमें जायतो पृथ्वीपति राजाकू जयश्री होय ॥ २४० ।। सद्य इति ॥ संग्राममें पोदकीने वामशब्दकरके रणभंग होय और दक्षिणा होय तो जय होय और तोरणमें शब्दकरै युग्म पोदकीको जोडा होय तो याके शब्दते जय होय वा अजय हेय ॥ २.४१ ॥ वामेनेति ॥ युद्धको उद्यम होय रह्यो होय और पोदकी वाम होयकरके जो दक्षिणा आयजाय तो युद्ध . . Aho! Shrutgyanam ..
SR No.034213
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandra Gani
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1828
Total Pages606
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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