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________________ 8२ खण्डहरोंका वैभव ५ ममुनेस्तुसुतस्तु पद्मावतावश्वपतेन्भटस्य [1] परैरजेयस्य रिपुनमानिनस्य संघिल ६ स्येत्यभिविश्रुतो भुवि [1] | स्वसंज्ञया शंकरनामशब्दितो विधानयुक्तं यतिमार्गमास्थितः [॥] ७ स उत्तराणां सदँशे कुरुणां उदग्दिशादेशवरे प्रसूतः [1] क्षयाय कर्मारिगणस्य धीमान् यदत्र पुण्यं तद पाससर्ज [m]' यह लेख गुप्तसंवत् १०६का है। उस समय कुमारगुप्त प्रथमका शासन था। जोगीमारा __ मध्यप्रदेश के अन्तर्गत सरगुजा राज्यमें लक्ष्मणपुरसे बारहवें मीलपर रामगिरि-रामगढ़ पर्वत है । इसपर जोगीमारा गुफा उत्कीर्णित है। प्राचीन शैलचित्रोंमें इस गुफाके चित्रोंका महत्त्वपूर्ण स्थान है। धर्म और कला--- उभयदृष्ट्या इसका स्थान अनुपम है। इनमें कुछ चित्रोंका विषय जैन है । अतः यह भी कभी जैन-गुफा रही होगी। यहाँसे ई० पू० तीसरी शतीका एक लेख भी प्राप्त हुआ है। डा० ब्लाखने इसका यही समय निश्चित किया है। ढंकगिरि - जैन-साहित्यमें इसका उल्लेख कई स्थानोंपर आया है। यह श→जयका एक उपपर्वत गिना जाता है। वर्तमानमें इसकी स्थिति वल्लभीपुरके निकट है । सातवाहनके गुरु और पादलिप्तसूरिके शिष्य सिद्धनागार्जुन यहींके निवासी थे । जैसा कि निम्न उल्लेखसे ज्ञात होता है 'डा० फ्लीट, कार्पस इन्स्क्रप्सन इंडिकेरम, भा० ३, Aho! Shrutgyanam
SR No.034202
Book TitleKhandaharo Ka Vaibhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKantisagar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1959
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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