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________________ हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी.। (२७३) अश्मंतकस्तु शफरी कुशलाचाम्लपत्रिका । चांगेरी दीपनी रुच्या रूक्षोष्णा कफवातनुत् ॥२४॥ पित्तलाम्ला ग्रहण्यशकुष्ठातीसारनाशिनी । चांगेरी, चुक्रिका, दंतशठा, अम्बष्ठा, अम्ललोणिका,पश्मंतक, शफरी, कुशला और अम्लपत्रिका यह चांगेरी के नाम हैं। हिन्दीमें खटमिट्री और चांगेरी भी कहते हैं। अंग्रेजी में इसे Wood Sorrel कहते हैं। चांगेरीदीपनकर्ता, इचिकारक, रूक्ष, उष्ण, कफवातनाशक, खट्टी तथा ग्रहणी, बवासीर, कुष्ठ और अतिसारको नाश करती है ॥ २३ ॥ २४॥ चुका। चुक्रिका स्यातु पत्राम्ला रोचनी शतवेधनी ॥२५॥ चुका त्वम्लतरा स्वाद्री वातघ्नी कफपित्तकृत् । रुच्या लघुतरापाके बंताकेनातिरोचनी ॥२६॥ चुक्रिका, पत्राम्ला, रोचनी और शतवेधनी यह खट्टी चूक के नाम हैं। चूक-अत्यन्त खट्टी, मधुर, वातनाशक, कफपित्तकारक, रुचिकारक और लघुपाकी होती है । इसकी डंडियां विशेष रुचिकारक नहीं होतीं ॥ २५ ॥ २६ ॥ चिंचु । चिंचुश्चुचूचंचुकी च दीर्घपत्रा सतितका। चुञ्चूः शीता मरा रुच्या स्वाद्वी दोषत्रयापहा २७॥ धातुपुष्टकरी बल्या मेध्या पिच्छिलिका स्मृता। चिंचु, चुचु, चञ्चुकी, दीर्घात्रा, सतितका यह चंचुके नाम हैं। चंचुकी शाक-शीतल, बस्तावर, रुचिकारक, मधुर, त्रिदोषनाशक, धातुपुष्टकारी, पनवर्धक, बुद्धिवर्धक और पिच्छिल होता है ॥ २७॥ १८ Aho ! Shrutgyanam
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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