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________________ हरीतक्यादिनिघण्टुः भा. टी. । ( ११५ मस्कर और तेजन यह बांसके नाम हैं। इसे फारसी में कसव और अंग्रेनीमें Bombooeamc कहते हैं । + बांस दस्तावर, शीतल, मधुर, कषाय, वस्तिशोधक, छेदन, कफ और वातको नष्ट करनेवाला, कोठ, रक्तविकार, व्रण, शोध इनको जीतनेवाला है । बसका अंकुर - पाक और रसमें कटु, रूक्ष, भारी, दस्तावर, कषाय, कफकारक, मधुर, दाहकारक वात और पित्तको बढानेवाला है । बांसके जौ दस्तावर, रूक्ष, कसैले, पाक में कटु, वातपित्तकारक, उन्न मूत्ररोधक और कफ नाशक हैं । १५४ - १५७ ॥ नलः । नलः पोटगलः शुन्यमध्यश्व धमनस्तथा । नलस्तु मधुरस्तिक्तः कषायः कफरक्तजित् ॥ १५८॥ " नल, पोटगल, शून्यमध्य, धमन यह नलके नाम हैं। इसे अंग्रेजीमें Indian Tobaccoo कहते हैं । नल - मधुर, तिक्त, कषाय, कफ और वातनाशक है ॥ १५८ ॥ मुंजः । भद्रमुञ्जः शरो बाणस्तेजनश्चक्षुमुण्डनः । मुञ्ज मुआतको बाणः स्थूलदर्भः सुमेखलः ॥ १५९ ॥ मुअद्वयं तु मधुरं तुवरं शिशिरं तथा । दाहतृष्णा विसर्पास्रमूत्रकृच्छ्राक्षिरोगहृत् ॥ १६० ॥ दोषत्रयहरं वृष्यं मेखला सृपयुज्यते । भद्रमुंज, शर, बागा, तेजन, चक्षुमण्डन, मुंज, मुंजातक, बाण, स्थूलदर्भ, सुमेखल यह मुञ्जके नाम हैं। दोनों मुंज--मधुर, कषाय, शीतन और दाइ, प्यास, विसर्प, रक्तविकार, मूत्र कृच्छ्र, नेत्ररोग, त्रिदोष ( इनको नष्ट करनेवाली तथा वीर्यवर्धक हैं। मुंज मेखलाओं में प्रयोग की जाती ३ ॥ १५९ ॥ १६० ॥
SR No.034197
Book TitleHarit Kavyadi Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhav Mishra, Shiv Sharma
PublisherKhemraj Shrikrishnadas
Publication Year1874
Total Pages490
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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