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________________ खम - उदा. अपर कथा तुमे सांजलो, संखेपे कहुँ सार ॥ हस्तीनागपुर रुयडो, उत्तर देश मोकार ॥१॥ मेघरथ नूपति जलो, पदमावती जरतार ॥ पदम लघु विष्णु वडो, पुत्र |बेहु ने उदार ॥२॥ मेघरथ विष्णु मुनि हुवा, पदमरथ श्रापी राज ॥ चारित्र पाले अमो, बेहु करे बातम काज ॥३॥ गजपुरमा तव श्रावीया, हिज मंत्री ते चार ॥ राजाने जश्नेटीया, दान मान दीधां सार ॥४॥ मंत्रीपद थाप्यां जलां, सुख पाम्या ते चार ॥ सिंहवली शत्रु तेह तणो, देश उजामी अपार ॥५॥राजाने चिंता घणी, दिन दिन अंगे खीण ॥ मंत्रीए तव पूढीलं, शरीर दीसे कां हीण ॥६॥ पदमरथ राजा कहे, सुणो तमे बलि प्रधान ॥ सिंहवली वयरी श्रम अजे, तेणे करी नहीं सुख । |मान ॥७॥आदेश लश् नृपति तणो, प्रधाने कर्यो प्रयाण ॥ सैन्य सुनट निज सज करी, बलि मंत्री बुद्धिनाण ॥७॥ सबल संग्राम तिहां जर कीयो, शत्रु कटक हुवो जंग ॥ सिंहवलीने बांध्यो तदा, पाम्या जय जय रंग ॥ ए ॥ वयरी बांधी आणीने, नेट रायने कीध ॥ पदमरथ आणंद हुङ, बलिने वरदान दीध ॥ १०॥ वलतो मंत्री| बोलीयो, सांजलो श्रीमहाराज ॥ मा{ त्यारे श्रापजो, वर आवे मुज काज ॥ ११ ॥ ॥ ७ ॥
SR No.034172
Book TitleDharmpariksha Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages336
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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